राजस्थान के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से एमडी-एमएस करने के बाद राज्य में सरकारी नौकरी न करने वाले डॉक्टरों को अब भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी कर डॉक्टरों की सेवा बांड राशि में पांच गुना तक की बढ़ोतरी की है। स्किन, रेडियोलॉजी, गायनोकोलॉजी और जनरल मेडिसिन के लिए डेढ़ करोड़ रुपए तय किए गए हैं। बायोकेमिस्ट्री, फोरेंसिक मेडिसिन, एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, फार्माकोलॉजी और पीएसएम के लिए 25 लाख रुपए तय किए गए हैं। पहले यह राशि दोनों श्रेणियों में 30 लाख और 5 लाख रुपए थी। ऑर्थोपेडिक्स, पीडियाट्रिक्स, टीबी एंड चेस्ट, ऑप्थल्मोलॉजी, ट्रॉमेटोलॉजी, जनरल सर्जरी और फिजियाट्री के लिए बांड राशि 1 करोड़ रुपए रखी गई है। पहले इस श्रेणी में बांड राशि 20 लाख रुपए थी।
ईएनटी, इमरजेंसी मेडिसिन, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी, न्यूक्लियर मेडिसिन, एनेस्थीसिया, पेलिएटिव मेडिसिन, पैथोलॉजी, फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन, इम्यूनोहेमेटोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी के लिए इसे 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 50 लाख रुपए कर दिया गया है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, राज्य में विशेषज्ञ चिकित्सकों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए यह निर्णय लिया गया है।
विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएँ: उद्देश्य
सरकारी नौकरी में न होने पर विषयवार सेवा बांड में राशि जमा करनी होगी। निजी मेडिकल कॉलेज में पीजी कोर्स में प्रवेश के लिए लगभग इतनी ही राशि पहले से ही शिक्षण शुल्क के रूप में देय है। केवल सरकारी कॉलेज चुनने की बाध्यता नहीं है। यदि बांड नहीं भरना है, तो सशुल्क कोर्स के लिए निजी मेडिकल कॉलेज का विकल्प भी दिया गया है। उद्देश्य विषयवार सेवा बांड के माध्यम से विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
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