प्रदेश में साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 को मजबूत करने के बाद साइबर ठगी की शिकायतों में 70 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। आंकड़ों पर गौर करें तो 2017 से अप्रैल 2025 तक ठगी के 20 हजार 600 मामले दर्ज हुए हैं। पिछले तीन साल में साइबर अपराधियों ने 1581.04 करोड़ रुपए की ठगी की है।
इसमें से पुलिस ने जालसाजों के बैंक खातों में जमा 676 करोड़ रुपए वापस करवाए, लेकिन पीड़ितों को अब तक सिर्फ 70.64 करोड़ रुपए ही वापस किए जा सके। हालांकि ऑपरेशन साइबर शील्ड, साइबर वज्र प्रहार 1.0, ऑपरेशन एंटी वायरस की कार्रवाई से साइबर अपराधों में 33 फीसदी की कमी आई है। इससे पहले कोरोना काल में साइबर अपराध के मामलों में 23.16 फीसदी की गिरावट आई थी।
साइबर ठगी के नए तरीके
साइबर अपराधी हर बार ठगी का नया तरीका अपनाते हैं। कभी ओपीडी मांगकर ठगी करते हैं तो कभी ओएलएक्स पर सामान बेचने का विज्ञापन देकर। डिजिटल आमंत्रण और सरकारी अधिकारी के रूप में प्रतिरूपण इसके नवीनतम उदाहरण हैं। हाल के दिनों में 'डिजिटल गिरफ्तारी' जैसे तरीकों में खतरनाक रूप से वृद्धि हुई है। इससे लोगों के लिए घोटाले की पहचान करना मुश्किल हो जाता है। जब तक सरकार लोगों को धोखाधड़ी से बचने के लिए जागरूक करना शुरू करती है, तब तक एक नया तरीका सामने आ जाता है।
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