राजस्थान में स्मार्ट मीटर योजना को लेकर सियासत गरमा गई है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सोमवार को सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए इस योजना को तुरंत बंद करने और स्मार्ट मीटर टेंडर की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है।
ब्लैकलिस्टेड कंपनी को टेंडर देने का आरोपटीकाराम जूली ने लिखित बयान जारी कर आरोप लगाया कि भाजपा को चंदे के रूप में दिए गए बॉण्ड के बदले सरकार ने नियमों को ताक पर रखते हुए गोवा में ब्लैकलिस्टेड कंपनी मैसर्स जीनस पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को 10,000 करोड़ रुपये के टेंडर दे दिए। जूली ने इसे बड़ा घोटाला बताते हुए कहा कि जनता के पैसों से भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है।
योजना बंद करने की मांगजूली ने कहा कि स्मार्ट मीटर योजना में पारदर्शिता का अभाव है और उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाला जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि मीटर लगाने के बाद से बिजली बिलों में अनियमितताएं बढ़ी हैं और कई जगह उपभोक्ताओं को अत्यधिक बिल भेजे जा रहे हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि इस योजना को तुरंत बंद कर पारदर्शी तरीके से नई व्यवस्था लागू की जाए।
जांच की जरूरत पर जोरनेता प्रतिपक्ष ने कहा कि 10,000 करोड़ रुपये के टेंडर में गड़बड़ी के आरोप इतने गंभीर हैं कि इसकी जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराई जानी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इस मामले में जल्द कार्रवाई नहीं की, तो विपक्ष इस मुद्दे को विधानसभा से लेकर सड़क तक जोरदार तरीके से उठाएगा।
सियासी टकराव के आसारस्मार्ट मीटर योजना को लेकर विपक्ष और सरकार के बीच पहले भी तीखी बहस हो चुकी है। विपक्ष का कहना है कि यह योजना जनता की जेब पर भारी पड़ रही है, जबकि सरकार का तर्क है कि स्मार्ट मीटर से बिजली वितरण में पारदर्शिता और दक्षता आएगी। जूली के नए आरोपों के बाद इस मुद्दे के और उछलने की पूरी संभावना है।
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