राजस्थान में बारिश ने न सिर्फ़ जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है, बल्कि किसानों की कमर भी तोड़ दी है। खेतों में लगी हज़ारों हेक्टेयर फ़सलें तबाह हो गई हैं। पूरे सीज़न की मेहनत बर्बाद होने से किसान बेबस हैं। हाड़ौती में भी बारिश आफ़त बनकर आई है। कोटा ज़िले में कई जगहों पर तबाही की तस्वीरें देखने को मिल रही हैं। कोटा संभाग में किसानों की चिंता बढ़ गई है। फ़सलों की तबाही के बाद किसानों को उम्मीद है कि जल्द ही सर्वे हो और उन्हें उचित मुआवज़ा मिले। दरअसल, भारी बारिश के कारण चंबल नदी भी ख़तरे के निशान से ऊपर बह रही है। इससे हाड़ौती के कई इलाके जलमग्न हो गए हैं।
गाँवों का संपर्क भी टूटा, लोग बेघर
किसानों के लिए यह दोहरी मार है क्योंकि आमदनी के अलावा, उनके घर पहले ही भारी बारिश की चपेट में आ चुके हैं। बाढ़ जैसे हालातों के बीच सैकड़ों घर ढह गए हैं और हज़ारों लोग बेघर हो गए हैं। कई पुलियाओं के ढहने से एक दर्जन से ज़्यादा गाँवों का संपर्क टूट गया है और सड़कें उखड़ गई हैं।
4 लाख हेक्टेयर में 60% तक नुकसान
अनुमान के अनुसार, लगभग 4 लाख हेक्टेयर में 60% तक नुकसान हुआ है। कुछ जगहों पर उड़द की फसल 90% तक खराब हो गई है। इस संबंध में जिला प्रशासन ने नुकसान का सर्वेक्षण करवाया है। लेकिन समस्या यह है कि बारिश अभी तक नहीं रुकी है। निमोद सुल्तानपुर क्षेत्र में बाढ़ ने गाँवों में तबाही मचा दी है। हाड़ौती में सोयाबीन की खेती बड़े पैमाने पर होती है। लेकिन हाल ही में हुई बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
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