राजस्थान में लगातार हो रही बारिश ने जर्जर स्कूल भवनों की समस्या को उजागर कर दिया है। कई स्कूल भवनों की दीवारें, छत और फर्श खराब हालत में हैं, जिससे विद्यार्थियों के लिए अध्ययन करना खतरनाक हो सकता है। इस परिस्थिति को देखते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार को वैकल्पिक व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं।
हाईकोर्ट के निर्देशहाईकोर्ट ने प्रसंज्ञान लेते हुए सरकार से कहा है कि आगामी सुनवाई 9 सितंबर को जर्जर विद्यालय भवनों या कक्षों के स्थान पर विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए की गई वैकल्पिक व्यवस्था की विद्यालयवार सूची प्रस्तुत की जाए। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि स्कूल भवनों की खराब स्थिति के बावजूद बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं होनी चाहिए।
स्कूल शिक्षा परिषद की कार्रवाईराजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद ने हाईकोर्ट के निर्देश के अनुपालन में सभी कलक्टरों को पत्र भेजा है। पत्र में कहा गया है कि सभी जिलों में जर्जर घोषित किए गए विद्यालयों के स्थान पर विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए की गई वैकल्पिक व्यवस्था की विद्यालयवार सूचना 7 सितंबर तक प्रस्तुत की जाए। इस पत्र में स्पष्ट किया गया है कि सूचना में कक्षाओं का स्थान, समय सारणी और विद्यार्थी संख्या का विवरण देना अनिवार्य है।
वैकल्पिक व्यवस्था की आवश्यकतामौसम विभाग और शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, बारिश और वर्षा के पानी से जर्जर स्कूल भवनों की हालत और खराब हो रही है। इस वजह से छात्रों के लिए अध्ययन करना जोखिम भरा हो गया है। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत छात्रों को सुरक्षित स्थानों पर कक्षाएँ आयोजित करने, अस्थायी क्लासरूम स्थापित करने और अन्य सुविधाएँ उपलब्ध कराने का काम किया जा रहा है।
सुरक्षा और पढ़ाई का संतुलनहाईकोर्ट ने सरकार को यह भी निर्देशित किया कि बच्चों की सुरक्षा और पढ़ाई दोनों को प्राथमिकता दी जाए। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जर्जर भवनों में बच्चों को बैठाना खतरनाक हो सकता है, इसलिए उचित वैकल्पिक स्थान सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है।
स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारीजिला कलक्टर और शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे जल्द से जल्द वैकल्पिक व्यवस्था लागू करें और हाईकोर्ट को विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराएँ। इसके अलावा, भवनों की मरम्मत और सुधार के लिए भी योजना बनाई जा रही है ताकि भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचा जा सके।
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