दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे (भारतमाला परियोजना) पर हाड़ौती में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए विश्वस्तरीय इंतजाम किए गए हैं। एक्सप्रेस-वे पर बूंदी जिले के लाखेरी में विश्वस्तरीय कृत्रिम पशु ओवरपास बनाया गया है। इस ओवरपास के नीचे न केवल 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से वाहन दौड़ेंगे, बल्कि इसके ऊपर वन्यजीव भी स्वच्छंद विचरण कर सकेंगे। इसी तरह एक्सप्रेस-वे पर मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में दरा टनल के ऊपर पहाड़ी पर वन्यजीवों और उनके जीवन को कोई व्यवधान नहीं होगा। एक्सप्रेस-वे इंजीनियरों ने बताया कि एक्सप्रेस-वे पर रणथंभौर टाइगर रिजर्व और बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के बीच एक जंगल का प्राकृतिक गलियारा है।
यहां बाघों सहित अन्य वन्यजीवों का मूवमेंट रहता है। ऐसे में वन्यजीवों के प्राकृतिक कॉरिडोर और मूवमेंट क्षेत्र को बनाए रखने के लिए बूंदी जिले के लाखेरी के पास भावपुरा और बालापुरा गांवों के बीच कॉरिडोर के 100 मीटर चौड़े और साढ़े तीन किमी क्षेत्र में सुरंग बनाई गई है। इसके ऊपर करीब साढ़े तीन मीटर मोटी मिट्टी की परत बिछाकर क्षेत्र में पाए जाने वाले 20 हजार जंगली पेड़-पौधे लगाए गए हैं। इस तरह वन्यजीवों को यह महसूस ही नहीं होगा कि सुरंग का यह ऊपरी हिस्सा जंगल से अलग है और वन्यजीवों की प्राकृतिक आवाजाही यहां जारी रहेगी। इसी तरह मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व की 3.3 किलोमीटर की पहाड़ी को खोदकर सुरंग बनाई गई है। इससे ऊपर वन्यजीवों के जीवन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
यहां पहाड़ी की चौड़ाई काफी अधिक होने के बावजूद दोनों तरफ बने कट और कर्व की मदद से ऊंची दीवारें बनाकर पौधरोपण किया जाएगा। इससे वन्यजीव कट और कर्व की तरफ से नहीं आ पाएंगे। दुनिया के सबसे बड़े ओवरपास में से एक दुनिया में वन्यजीवों की सुरक्षा और उनके कॉरिडोर और प्राकृतिक आवास को बनाए रखने के लिए ओवरपास बनाए गए हैं। कनाडा के अल्बर्टा बैंफ नेशनल पार्क, नीदरलैंड के हिलवर्सम, वाशिंगटन के स्नोक्वाल्मी पास, इंग्लैंड के चेशायर के नट्सफोर्ड-बोडेन हाईवे और सिंगापुर में भी इकोलिंक द्वारा एनिमल ओवरपास बनाए गए हैं, लेकिन इनका आकार कुछ मीटर ही था। इनकी तर्ज पर महाराष्ट्र के नागपुर में भी एनिमल ओवरपास बनाए गए हैं, लेकिन हाड़ौती में ओवरपास का आकार काफी बड़ा है। लाखेरी में 500-500 मीटर लंबाई के 5 एनिमल ओवरपास बनाए गए हैं।
अनन्य डिजाइन वन्यजीव और हाईवे को साथ लाता है
रणथंभौर और रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व और मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में एक्सप्रेस-वे के लिए सुरंगों के निर्माण के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने वन्यजीवों की सुरक्षा और रिजर्व क्षेत्र में उनके स्वतंत्र विचरण में बाधा डाले बिना निर्माण की अनुमति दी थी। ऐसे में वन्यजीवों के लिए एनिमल ओवरपास बनाते समय इसकी डिजाइन इस तरह से बनाई गई कि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इसे तुरंत पर्यावरणीय स्वीकृति दे दी। दोनों सुरंगों पर करीब 1500 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
मानव और वन्यजीवों के बीच सेतु
एक्सप्रेसवे की दोनों सुरंगों (लाखेरी और दरा) को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि सुरंग में 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से वाहनों की आवाजाही के बावजूद इसके ऊपर बने एनिमल ओवरपास से गुजरने वाले वन्यजीवों को वाहनों के हॉर्न बजाने के बावजूद आवाज नहीं सुनाई देगी। ऐसे में वन्यजीवों के जीवन और प्राकृतिक वातावरण पर कोई असर नहीं पड़ेगा। कोटा एनएचएआई के परियोजना निदेशक संदीप अग्रवाल ने बताया कि एक्सप्रेसवे पर लाखेरी एनिमल ओवरपास बनाया गया है। इसी तरह मुकुंदरा में पूरी पहाड़ी पर जंगली जानवर स्वतंत्र रूप से घूम सकेंगे। दोनों सुरंगें बहुत बड़ी हैं। दोनों पर करीब 1500 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। यहां अत्याधुनिक सुविधाएं विकसित की गई हैं।
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