भारत की 'आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई' में 'ऑपरेशन सिंदूर' ने एक 'न्यू नॉर्मल' स्थापित किया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राष्ट्र के नाम संदेश में ये बात कही है.
पहलगाम में हुए हमले में 26 लोगों की मौत की प्रतिक्रिया में पाकिस्तान के भीतर और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में 'आतंकवादी ढाँचे ' पर मिसाइल हमलों के पाँच दिन बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये भाषण दिया.
भारत के इन हमलों ने परमाणु हथियारों वाले दो देशों के बीच सैन्य तनाव और टकराव बढ़ा दिया था.
ये तनाव शनिवार को दोनों देशों में सैन्य अभियान रोकने पर बनी समझ के बाद ख़त्म हुआ.
हालांकि, सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ज़ोर देकर कहा कि भारत ने अपने हमलों को सिर्फ़ स्थगित किया है.
पीएम मोदी ने कहा, "आने वालों दिनों में हम पाकिस्तान के हर क़दम को इस कसौटी पर मापेंगे कि वो क्या रवैया अपनाता है."
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पीएम मोदी ने ये कह कर घरेलू स्तर पर अपने समर्थकों में दिख रहे असंतोष को शांत करने की कोशिश की है.
उनके समर्थक पाकिस्तान के ख़िलाफ़ सैन्य अभियान रोकने और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ आक्रामक अभियान जारी न रखने से असंतुष्ट थे.
विशेषज्ञों के मुताबिक़ मोदी के भाषण में भारत और पाकिस्तान के बीच अमेरिका की मध्यस्थता का ज़िक्र न होना भी अहम बात थी.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि अमेरिका ने 'मध्यस्थता करके भारत और पाकिस्तान के बीच तुरंत और पूर्ण संघर्ष विराम कराया'.
अमेरिका के दख़ल का ज़िक्र नहींराष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के अलावा, अमेरिकी उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी शनिवार को दावा किया था कि अमेरिका ने ही भारत और पाकिस्तान को बातचीत के लिए तैयार किया था.
रुबियो ने तो ये दावा भी किया था कि दोनों देश 'विस्तृत मुद्दों पर तटस्थ स्थान पर बातचीत शुरू करने के लिए तैयार हो गए हैं.'
शनिवार रात को दिए भाषण में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने सिर्फ़ अमेरिका का ही नहीं बल्कि ब्रिटेन, तुर्की, सऊदी अरब, क़तर, यूएई और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का तनाव कम करने के लिए शुक्रिया अदा किया था.
लेकिन इसके उलट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसी भी तीसरे देश की भूमिका को स्वीकार नहीं किया.
उन्होंने कहा कि भारत सिर्फ़ इसलिए पीछे हटा क्योंकि 'भारी नुक़सान झेल रहे पाकिस्तान ने भारत के सैन्य अभियानों के महानिदेशक (डीजीएमओ) से संपर्क किया और कहा कि पाकिस्तान आगे किसी भी तरह की आतंकवादी घटना नहीं करेगा और सैन्य दुस्साहस नहीं दिखाया जाएगा.'
अंतरराष्ट्रीय मामलों की वरिष्ठ पत्रकार इंद्राणी बागची मानती हैं कि अपने भाषण में नरेंद्र मोदी ने इस विषय पर भारत की दीर्घकालिक नीति को ही दोहराया है.

इंद्राणी बागची कहती हैं, "भारत ने हमेशा अपना रुख़ स्पष्ट रखा है कि वो पाकिस्तान के मामले में किसी तीसरे देश की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करेगा."
अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने ये भी कहा कि पाकिस्तान के साथ सिर्फ़ दो विषयों पर बात होगी- 'आतंकवाद और पीओके'.
रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ और दिल्ली स्थित थिंकटैक सेंटर फ़ॉर पॉलिसी रिसर्च में पर एक पोस्ट में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का ये ज़ोर देकर कहना स्पष्ट रूप से ट्रंप के लिए फटकार थी, जिन्होंने कश्मीर मुद्दे का समाधान निकालने की पेशकश की थी.
बागची का भी मानना है कि अपने भाषण से प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप को भी स्पष्ट संदेश दिया है.
वो कहती हैं, "2019 में अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के बाद से भारत ने ये स्पष्ट कर दिया था कि कश्मीर पर बातचीत नहीं होगी. प्रधानमंत्री ने इसी बात को और स्पष्ट किया है."
मोदी ने कहा - 'परमाणु ब्लैकमेल को बर्दाश्त नहीं करेगा भारत'ये कहते हुए कि 'ऑपरेशन सिंदूर' ने 'न्यू नॉर्मल' तय कर दिया है, मोदी ने तीन बिंदुओं को रेखांकित किया. इनमें से एक ये था कि भारत 'परमाणु ब्लैकमेल' को बर्दाश्त नहीं करेगा,
बागची मानती हैं कि इस मामले में भारत ने एक नई रेखा खींची है.
वो कहती हैं कि नियंत्रण रेखा के उस पार साल 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक करने से लेकर इस महीने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत किए गए मिसाइल हमलों तक, सैन्य कार्रवाई की प्रतिक्रिया में परमाणु हमला करने की पाकिस्तानी धमकी को कुंद करने में भारत कामयाब रहा है.
वो कहती हैं, "2016 से पहले भारत पाकिस्तान के भीतर सैन्य कार्रवाई करता भी था, तो उसे प्रचारित नहीं किया जाता था. तब से लेकर अब तक चार दिन तक लगातार किए गए हमलों से भारत ने परमाणु युद्ध की सीमा को और आगे बढ़ा दिया है."
हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक अदिति फडणीस मानती हैं कि मोदी ने अपने संबोधन में जिन नीतियों का ज़िक्र किया, उनमें नया कुछ भी नहीं है.
वो कहती हैं कि अपनी 'न्यू नॉर्मल' की नीति में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत अपनी शर्तों पर 'आतंकवाद का मुंहतोड़ जवाब देगा' और भारत 'सरकार समर्थिक आतंकवाद और आतंकवाद के मास्टरमाइंड' के बीच कोई फ़र्क़ नहीं करेगा.
अदिति फडणीस कहती हैं कि मोदी सरकार ने साल 2016 में उरी में 19 भारतीय सैनिकों की मौत और पुलवामा में 40 सीआरपीएफ़ जवानों की मौत के बाद भी ऐसी ही बातें की थीं.
वे कहती हैं, "हर बार भारत आगे बढ़कर प्रतिक्रिया देता है और इस बार भी ऐसा ही हुआ है. लेकिन इससे आतंकवादी हमले नहीं रुके हैं."
राजनीतिक संदेश
संघर्ष रुकने के बाद कई बीजेपी समर्थकों और अन्य कई लोगों ने मोदी सरकार की ये कहते हुए आलोचना की कि भारत ने पाकिस्तान को और अधिक नुक़सान पहुंचाने का मौक़ा गंवा दिया.
प्रोफ़ेसर चेलानी ने भारत के इस फ़ैसले को 'जीत के जबड़े से हार खींचना' तक कहा है.
बीबीसी से बातचीत में राजनीतिक पत्रकार नीरजा चौधरी कहती हैं कि नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट रूप से अपने भाषण से, अपने समर्थकों को आश्वस्त करने की कोशिश की.
नीरजा चौधरी कहती हैं, "मोदी ने ये कहकर एक संदेश देने की कोशिश की है कि भारत ने मिसाइल हमलों में 100 आतंकवादी मार दिेए और भारत ने अपना अभियान सिर्फ़ स्थिगत किया है और आगे भी पाकिस्तान के ख़िलाफ़ भारत अपनी शर्तों पर कार्रवाई करेगा."
नीरजा चौधरी कहती हैं कि सिंदूर के महत्व पर ज़ोर देकर प्रधानमंत्री ने भावनात्मक संदेश देने की कोशिश भी की है
अपने भाषण में मोदी ने कहा, "हर आतंकवादी संगठन को ये पता चल गया है कि हमारी बहनों-बेटियों के सिंदूर को पोंछने के परिणाम क्या हैं."
नीरजा चौधरी कहती हैं कि ऐसा कहकर प्रधानमंत्री मोदी ने आम लोगों से जुड़ने की कोशिश की.
वो कहती हैं, "पहलगाम हमला बाक़ी आतंकवादी हमलों से अलग है. पुरुषों से उनका धर्म पूछा गया और फिर उन्हें पत्नियों-बेटियों के सामने मार दिया गया. प्रधानमंत्री इसके भावनात्मक महत्व को समझते हैं और इसलिए ही इस बारे में उन्होंने अलग से बात की."
हालांकि, अदिति फडणीस को नहीं लगता कि इससे मोदी के समर्थकों का असंतोष शांत हो जाएगा.
वो कहती हैं, "पाकिस्तान को लेकर प्रधानमंत्री की बयानबाज़ी बहुत सख़्त रही है और इसका मतलब ये है कि कहीं ना कहीं सरकार अपने नैरेटिव में ही फंस गई है. मुझे नहीं लगता कि प्रधानमंत्री के भाषण से इसका बहुत समाधान निकला हो."
वो ये भी कहती हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप का भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता कराने का श्रेय लेना भी मोदी समर्थकों को रास नहीं आ रहा है.
वो कहती हैं, "विपक्षी दल भी इस मुद्दे को उठा रहे हैं."
वैश्विक शक्तियों के लिए संदेशभारत ने मिसाइल हमलों से क्या हासिल किया, इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहावलपुर और मुरीदके का नाम लिया और कहा, "ये वैश्विक आतंकवाद की यूनिवर्सिटी हैं."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत में हुए बड़े आतंकवादी हमलों, 9/11 वर्ल्ड ट्रेंड सेंटर हमलों और 2005 के लंदन ट्यूब बम धमाकों के इन स्थलों से संबंध हैं.
बागची मानती हैं कि ऐसा बोलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कार्रवाई के लिए वैश्विक समर्थन जुटाने की कोशिश की.
उन्होंने बताया, "अमेरिका में एक पीढ़ी 9/11 के बाद बढ़ी हुई है, इसी तरह ब्रिटेन में भी एक पीढ़ी 2005 हमलों के बाद पैदा हुई है. मोदी उन्हें ये संदेश देना चाहते हैं कि भारत ने जो किया है, वो दुनिया के हित में है."
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक अदिति फडणीस भी इस मुद्दे पर सहमत हैं.
वो कहती हैं, "भारत में क्वाड सम्मेलन में मोदी जब ट्रंप से मुलाक़ात करेंगे, तब वो ये मुद्दा भी उठाएंगे. या संयुक्त राष्ट्र में अपने अगले भाषण में वो ऐसा कर सकते हैं."
फडणीस कहती हैं, "भारत बुद्ध का देश है युद्ध का नहीं, इस कथन में भी बदलाव आता दिख रहा है. यहाँ तक कि जब मोदी ने कहा कि आज बुद्ध पुर्णिमा हैं, उन्होंने इसके साथ ये भी कहा कि शांति का रास्ता शक्ति से ही निकलता है."
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