दिवाली न सिर्फ रौशनी और खुशियों का त्योहार होता है, बल्कि यह इन्वेस्टमेंट के हिसाब से भी एक अहम मौका होता है। भारत में ट्रैडिशनल रूप से लोग इस समय सोना और चांदी खरीदना शुभ मानते हैं। ये दोनों मेटल्स संपत्ति, समृद्धि निशानी मानी जाती हैं। लेकिन इस बार हालात कुछ ओर हैं। 2025 में गोल्ड और सिल्वर दोनों की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं, जिससे निवेशकों के सामने एक अहम सवाल खड़ा हो गया है कि क्या अभी इन मेटल्स में निवेश करना सही रहेगा या इस दिवाली, सिर्फ यह देखना काफी नहीं कि गोल्ड बेहतर है या सिल्वर, बल्कि यह समझना ज़रूरी है कि क्या तेजी के बाद इनमें और पैसा लगाना समझदारी होगी या नहीं। इस रिपोर्ट में जानिए बाजार के विशेषज्ञों की राय, वर्तमान कीमतें , और इन्वेस्टमेंट के लिए सबसे सही रणनीति।
तेजी के बाद रहें सतर्क
गोल्ड और सिल्वर दोनों ही 2025 में अब तक तेज़ी में चल रहे हैं। 14 अक्टूबर को MCX पर गोल्ड 1,26,299 रुपये प्रति 10 ग्राम और सिल्वर 1,60,000 रुपये प्रति किलो के रिकॉर्ड पर पहुंच गया है। इस तेजी के पीछे कई वजहें रहीं है जैसे U.S-China तनाव, ग्लोबल इंस्टेबिलिटी, ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदे। विशेषज्ञ पल्लव अग्रवाल का मानना है कि ऐसे समय में भावनाओं के बजाय सोच-समझकर कर इन्वेस्टमेंट करना चाहिए। वे कहते हैं कि त्योहार के लिहाज़ से थोड़ी मात्रा में फिजिकल गोल्ड या सिल्वर खरीदी जा सकती है, लेकिन बड़ा इन्वेस्टमेंट फिलहाल टालना चाहिए ।
गोल्ड या सिल्वर कौन है आगे
गोल्ड एक सुरक्षित इन्वेस्टमेंट ऑप्शन माना जाता है, जो ग्लोबल अनसर्टेंटीज़ के समय स्थिरता देता है। वहीं सिल्वर की वैल्यूएशन अभी ज्यादा आकर्षक है, लेकिन इसमें उतार-चढ़ाव ज्यादा रहता है क्योंकि इसका बड़ा हिस्सा इंडस्ट्रियल सेक्टर्स में इस्तेमाल होता है। राजेश मिनोचा जो सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर है वो बताते हैं कि गोल्ड पोर्टफोलियो के लिए बेहतर है क्योंकि यह लॉन्ग-टर्म वेल्थ को सुरक्षित रखता है, जबकि सिल्वर एक साइकलिकल एसेट है और ज़्यादा रिटर्न के साथ ज़्यादा जोखिम भी लाता है।
फिजिकल या डिजिटल इन्वेस्टमेंट
आजकल लोग ETF, म्यूचुअल फंड्स (FoF) जैसे डिजिटल माध्यमों के ज़रिए इन्वेस्टमेंट को महत्व दे रहे हैं। ये सुरक्षित, ट्रांसपेरेंट और स्टोरेज की झंझट से मुक्त होते हैं। मिनोचा मानते हैं कि त्योहारों के मौके पर फिजिकल खरीदारी ठीक है, लेकिन इन्वेस्टमेंट के लिए ETF/FoF बेहतर हैं। हालांकि, हाल ही में SBI, Tata, Kotak और UTI जैसे फंड हाउसों ने सिल्वर ETF, FoF में नए इन्वेस्टमेंट बंद कर दिए हैं क्योंकि भारत में फिजिकल सिल्वर की भारी कमी है और कीमतें इंटरनेशनल मार्केट से ज्यादा हैं।
अभी खरीदें या इंतज़ार करें
इस सवाल का जवाब इन्वेस्टर की पोर्टफोलियो स्ट्रैटेजी पर निर्भर करता है। अगर किसी इन्वेस्टर के पास गोल्ड या सिल्वर में बहुत कम होल्डिंग है, तो वो थोड़ा-थोड़ा करके SIP की तरह निवेश शुरू कर सकता है। लेकिन जिनकी होल्डिंग पहले से ही काफी है, उन्हें अभी रुकना चाहिए। मिनोचा मानते हैं कि मार्केट टाइमिंग मुश्किल है, इसलिए नियमित और छोटे इन्वेस्टमेंट बेहतर होते हैं। वहीं अग्रवाल कहते हैं कि स्ट्रैटेजिक एसेट एलोकेशन के अनुसार इन्वेस्टमेंट करना चाहिए और ज्यादा तेजी नहीं दिखानी चाहिए।
गोल्ड-सिल्वर रेशियोहिस्ट्री में गोल्ड-सिल्वर का रेशियो एवरेज 55 के आसपास रहा है। अभी यह 80 से ऊपर है, जिसका मतलब है कि चांदी की वैल्यूएशन ज़्यादा आकर्षक है। साथ ही, चांदी की डिमांड इलेक्ट्रॉनिक्स और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी से बढ़ रही है। हालांकि, विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि प्रेशियस मेटल्स की कुल हिस्सेदारी पोर्टफोलियो में 8-10% से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए। लंबे समय के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड्स पर फोकस रखना ज़्यादा बेहतर होगा।
तेजी के बाद रहें सतर्क
गोल्ड और सिल्वर दोनों ही 2025 में अब तक तेज़ी में चल रहे हैं। 14 अक्टूबर को MCX पर गोल्ड 1,26,299 रुपये प्रति 10 ग्राम और सिल्वर 1,60,000 रुपये प्रति किलो के रिकॉर्ड पर पहुंच गया है। इस तेजी के पीछे कई वजहें रहीं है जैसे U.S-China तनाव, ग्लोबल इंस्टेबिलिटी, ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदे। विशेषज्ञ पल्लव अग्रवाल का मानना है कि ऐसे समय में भावनाओं के बजाय सोच-समझकर कर इन्वेस्टमेंट करना चाहिए। वे कहते हैं कि त्योहार के लिहाज़ से थोड़ी मात्रा में फिजिकल गोल्ड या सिल्वर खरीदी जा सकती है, लेकिन बड़ा इन्वेस्टमेंट फिलहाल टालना चाहिए ।
गोल्ड या सिल्वर कौन है आगे
गोल्ड एक सुरक्षित इन्वेस्टमेंट ऑप्शन माना जाता है, जो ग्लोबल अनसर्टेंटीज़ के समय स्थिरता देता है। वहीं सिल्वर की वैल्यूएशन अभी ज्यादा आकर्षक है, लेकिन इसमें उतार-चढ़ाव ज्यादा रहता है क्योंकि इसका बड़ा हिस्सा इंडस्ट्रियल सेक्टर्स में इस्तेमाल होता है। राजेश मिनोचा जो सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर है वो बताते हैं कि गोल्ड पोर्टफोलियो के लिए बेहतर है क्योंकि यह लॉन्ग-टर्म वेल्थ को सुरक्षित रखता है, जबकि सिल्वर एक साइकलिकल एसेट है और ज़्यादा रिटर्न के साथ ज़्यादा जोखिम भी लाता है।
फिजिकल या डिजिटल इन्वेस्टमेंट
आजकल लोग ETF, म्यूचुअल फंड्स (FoF) जैसे डिजिटल माध्यमों के ज़रिए इन्वेस्टमेंट को महत्व दे रहे हैं। ये सुरक्षित, ट्रांसपेरेंट और स्टोरेज की झंझट से मुक्त होते हैं। मिनोचा मानते हैं कि त्योहारों के मौके पर फिजिकल खरीदारी ठीक है, लेकिन इन्वेस्टमेंट के लिए ETF/FoF बेहतर हैं। हालांकि, हाल ही में SBI, Tata, Kotak और UTI जैसे फंड हाउसों ने सिल्वर ETF, FoF में नए इन्वेस्टमेंट बंद कर दिए हैं क्योंकि भारत में फिजिकल सिल्वर की भारी कमी है और कीमतें इंटरनेशनल मार्केट से ज्यादा हैं।
अभी खरीदें या इंतज़ार करें
इस सवाल का जवाब इन्वेस्टर की पोर्टफोलियो स्ट्रैटेजी पर निर्भर करता है। अगर किसी इन्वेस्टर के पास गोल्ड या सिल्वर में बहुत कम होल्डिंग है, तो वो थोड़ा-थोड़ा करके SIP की तरह निवेश शुरू कर सकता है। लेकिन जिनकी होल्डिंग पहले से ही काफी है, उन्हें अभी रुकना चाहिए। मिनोचा मानते हैं कि मार्केट टाइमिंग मुश्किल है, इसलिए नियमित और छोटे इन्वेस्टमेंट बेहतर होते हैं। वहीं अग्रवाल कहते हैं कि स्ट्रैटेजिक एसेट एलोकेशन के अनुसार इन्वेस्टमेंट करना चाहिए और ज्यादा तेजी नहीं दिखानी चाहिए।
गोल्ड-सिल्वर रेशियोहिस्ट्री में गोल्ड-सिल्वर का रेशियो एवरेज 55 के आसपास रहा है। अभी यह 80 से ऊपर है, जिसका मतलब है कि चांदी की वैल्यूएशन ज़्यादा आकर्षक है। साथ ही, चांदी की डिमांड इलेक्ट्रॉनिक्स और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी से बढ़ रही है। हालांकि, विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि प्रेशियस मेटल्स की कुल हिस्सेदारी पोर्टफोलियो में 8-10% से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए। लंबे समय के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड्स पर फोकस रखना ज़्यादा बेहतर होगा।
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