पेस डिजिटेक, जो एक नई और तेजी से उभरती हुई रिन्यूएबल एनर्जी और टेलीकॉम कंपनी है, अचानक सबकी नजरों में आ गई है। इसकी वजह ग्लोबल इन्वेस्टमेंट फर्म मॉर्गन स्टेनली ने इस कंपनी के करीब 12 लाख शेयर खरीदे हैं। यह कदम निवेशकों के भरोसे को और मजबूत कर रहा है, जो अपनी लिस्टिंग के समय अपने इश्यू प्राइस से लगभग 4% प्रीमियम पर खुला था। इसके साथ ही अरिहंत कैपिटल ने पेस डिजिटेक पर कवरेज शुरू करते हुए इसे ‘बाय’ रेटिंग दी है और इसका टारगेट प्राइस 385 रुपए रखा है, जो वर्तमान स्तर 225 रुपए से लगभग 75% ऊपर का इशारा करता है।
एनर्जी सिस्टम में हो रहे बदलाव का हिस्सा बनने के लिए तैयार है पेस डिजिटेक
ब्रोकरेज कंपनी का मानना है कि पेस डिजिटेक भारत की एनर्जी सिस्टम में हो रहे बदलाव का हिस्सा बनने के लिए तैयार है। खासकर बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) और टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर के सेक्टर में कंपनी का भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है। अरिहंत कैपिटल ने बताया कि पेस डिजिटेक के पास मैन्युफैक्चरिंग, इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (EPC) और अपने बनाए हुए प्रोजेक्ट को चलाने (BOO) का एक साथ काम करने वाला मॉडल है। यही वजह है कि कंपनी अपने काम को तेजी और कुशलता से पूरा कर पाती है।
पेस डिजिटेक ने बैंगलोर में एक बड़ी बैटरी स्टोरेज फैसिलिटी शुरू कर दी है, जिसकी कैपेसिटी 5 GWh है। इस फैसिलिटी से कंपनी को पूरी कैपेसिटी पर करीब 3200 करोड़ रुपए का सालाना रेवेन्यू मिलने की संभावना है। इसके अलावा कंपनी के पास कई बड़े बैटरी और हाइब्रिड एनर्जी प्रोजेक्ट्स की योजना है। अब तक 2.8 GWh के ऑर्डर मिल चुके हैं और ये प्रोजेक्ट्स वित्त वर्ष 2026 तक पूरे होने की उम्मीद है।
सरकार की योजनाओं से मिल सकता है बड़ा फायदा
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार 2030 तक 500 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादन का लक्ष्य लेकर चल रही है। इसके अलावा एनर्जी स्टोरेज को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई नीतियां ला रही है, जैसे कि SECI (सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) की टेंडर प्रोसेस और वायबिलिटी गैप फंडिंग। ये सभी चीजें पेस डिजिटेक जैसी कंपनियों के लिए बड़े मौके साबित हो सकती हैं।
2032 तक 230 GWh की जरूरत, पेस को शुरुआती बढ़त
भविष्य की जरूरतों को देखते हुए अनुमान है कि 2032 तक भारत में 230 GWh से ज्यादा बैटरी स्टोरेज क्षमता की जरूरत होगी। पेस डिजिटेक पहले से इस सेक्टर में काम कर रही है, इसलिए उसे 'अर्ली मूवर' एडवांटेज मिल सकता है। यानी कंपनी पहले से मौजूद है, तो इसका फायदा इसे बड़ा मार्केट शेयर लेने में मिल सकता है।
लोकल प्रोडक्शन और मजबूत प्रोजेक्ट इम्प्लीमेंटेशन इसकी ताकत
ब्रोकरेज हाउस की रिपोर्ट में कहा गया है कि पेस डिजिटेक की सबसे बड़ी ताकत है। इसकी भारत में ही मैन्युफैक्चरिंग, पहले से साबित प्रोजेक्ट इम्प्लीमेंटेशन की कैपेसिटी और बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए पहले से तैयार रहना। ये सारी बातें इसे घरेलू बैटरी स्टोरेज बाजार में अलग पहचान देती हैं।
पेस डिजिटेक पहले टेलीकॉम टावर और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स के बिजनेस में एक्टिव थी। लेकिन अब कंपनी ने अपना दायरा बढ़ा लिया है और वह एनर्जी, ICT (सूचना और संचार तकनीक), और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेवाओं में भी काम कर रही है। इस डाइवर्सिफिकेशन से कंपनी की ग्रोथ की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
कम प्रोफाइल से अब चर्चित स्टॉक बनने की ओर
सरकार की ग्रीन एनर्जी और इलेक्ट्रिफिकेशन पर फोकस को देखते हुए एक्सपर्ट्स का मानना है कि कंपनी की कमाई और प्रॉफिट मार्जिन दोनों आने वाले समय में और बेहतर होंगे। मॉर्गन स्टेनली जैसे विदेशी निवेशक की दिलचस्पी और घरेलू ब्रोकरेज की पॉजिटिव रिपोर्ट्स के चलते अब यह स्टॉक एक ‘लो प्रोफाइल’ शुरुआत करने वाले स्टॉक से निकलकर रिन्यूएबल और बैटरी स्टोरेज सेक्टर का एक चर्चित नाम बन सकता है।
डिस्क्लेमर : जो सुझाव या राय एक्सपर्ट/ ब्रोकरेज देते हैं, वो उनकी अपनी सोच है। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिंदी की राय नहीं होती।
एनर्जी सिस्टम में हो रहे बदलाव का हिस्सा बनने के लिए तैयार है पेस डिजिटेक
ब्रोकरेज कंपनी का मानना है कि पेस डिजिटेक भारत की एनर्जी सिस्टम में हो रहे बदलाव का हिस्सा बनने के लिए तैयार है। खासकर बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) और टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर के सेक्टर में कंपनी का भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है। अरिहंत कैपिटल ने बताया कि पेस डिजिटेक के पास मैन्युफैक्चरिंग, इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (EPC) और अपने बनाए हुए प्रोजेक्ट को चलाने (BOO) का एक साथ काम करने वाला मॉडल है। यही वजह है कि कंपनी अपने काम को तेजी और कुशलता से पूरा कर पाती है।
पेस डिजिटेक ने बैंगलोर में एक बड़ी बैटरी स्टोरेज फैसिलिटी शुरू कर दी है, जिसकी कैपेसिटी 5 GWh है। इस फैसिलिटी से कंपनी को पूरी कैपेसिटी पर करीब 3200 करोड़ रुपए का सालाना रेवेन्यू मिलने की संभावना है। इसके अलावा कंपनी के पास कई बड़े बैटरी और हाइब्रिड एनर्जी प्रोजेक्ट्स की योजना है। अब तक 2.8 GWh के ऑर्डर मिल चुके हैं और ये प्रोजेक्ट्स वित्त वर्ष 2026 तक पूरे होने की उम्मीद है।
सरकार की योजनाओं से मिल सकता है बड़ा फायदा
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार 2030 तक 500 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादन का लक्ष्य लेकर चल रही है। इसके अलावा एनर्जी स्टोरेज को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई नीतियां ला रही है, जैसे कि SECI (सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) की टेंडर प्रोसेस और वायबिलिटी गैप फंडिंग। ये सभी चीजें पेस डिजिटेक जैसी कंपनियों के लिए बड़े मौके साबित हो सकती हैं।
2032 तक 230 GWh की जरूरत, पेस को शुरुआती बढ़त
भविष्य की जरूरतों को देखते हुए अनुमान है कि 2032 तक भारत में 230 GWh से ज्यादा बैटरी स्टोरेज क्षमता की जरूरत होगी। पेस डिजिटेक पहले से इस सेक्टर में काम कर रही है, इसलिए उसे 'अर्ली मूवर' एडवांटेज मिल सकता है। यानी कंपनी पहले से मौजूद है, तो इसका फायदा इसे बड़ा मार्केट शेयर लेने में मिल सकता है।
लोकल प्रोडक्शन और मजबूत प्रोजेक्ट इम्प्लीमेंटेशन इसकी ताकत
ब्रोकरेज हाउस की रिपोर्ट में कहा गया है कि पेस डिजिटेक की सबसे बड़ी ताकत है। इसकी भारत में ही मैन्युफैक्चरिंग, पहले से साबित प्रोजेक्ट इम्प्लीमेंटेशन की कैपेसिटी और बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए पहले से तैयार रहना। ये सारी बातें इसे घरेलू बैटरी स्टोरेज बाजार में अलग पहचान देती हैं।
पेस डिजिटेक पहले टेलीकॉम टावर और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स के बिजनेस में एक्टिव थी। लेकिन अब कंपनी ने अपना दायरा बढ़ा लिया है और वह एनर्जी, ICT (सूचना और संचार तकनीक), और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेवाओं में भी काम कर रही है। इस डाइवर्सिफिकेशन से कंपनी की ग्रोथ की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
कम प्रोफाइल से अब चर्चित स्टॉक बनने की ओर
सरकार की ग्रीन एनर्जी और इलेक्ट्रिफिकेशन पर फोकस को देखते हुए एक्सपर्ट्स का मानना है कि कंपनी की कमाई और प्रॉफिट मार्जिन दोनों आने वाले समय में और बेहतर होंगे। मॉर्गन स्टेनली जैसे विदेशी निवेशक की दिलचस्पी और घरेलू ब्रोकरेज की पॉजिटिव रिपोर्ट्स के चलते अब यह स्टॉक एक ‘लो प्रोफाइल’ शुरुआत करने वाले स्टॉक से निकलकर रिन्यूएबल और बैटरी स्टोरेज सेक्टर का एक चर्चित नाम बन सकता है।
डिस्क्लेमर : जो सुझाव या राय एक्सपर्ट/ ब्रोकरेज देते हैं, वो उनकी अपनी सोच है। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिंदी की राय नहीं होती।
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