नवरात्रि का नौवां दिन
सिद्धिदात्री माता का दिन: बुधवार, 1 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि का नवां दिन मनाया जाएगा। धार्मिक परंपरा के अनुसार, यह दिन सिद्धिदात्री माता को समर्पित है। नवमी तिथि को विशेष महत्व दिया जाता है और इसे महानवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है और कन्या पूजन का आयोजन होता है। नवरात्रि के इस दिन देवी को विशेष भोग अर्पित किया जाता है। माता सिद्धिदात्री देवी दुर्गा का नवां रूप हैं और उन्हें सभी प्रकार की सिद्धियों की दाता माना जाता है। मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों पर कृपा करती हैं और उनकी इच्छाओं को पूरा करती हैं। यदि आप भी इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करने का विचार कर रहे हैं, तो यहां हम आपको उनके मंत्र, पूजा विधि, भोग और प्रिय रंग के बारे में जानकारी देंगे।
माता सिद्धिदात्री का मंत्र
नवरात्रि के नवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा में ‘ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके अलावा, उनका बीज मंत्र है- ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नमः’।
नवरात्रि के 9वें दिन भोग
इस दिन मां सिद्धिदात्री को हलवा, पूरी, काले चने और मौसमी फलों का भोग अर्पित किया जाता है। इसके साथ ही, आप माता को पंचामृत और सिंघाड़े का हलवा भी चढ़ा सकते हैं।
नवरात्रि के नौवें दिन का रंग
नवरात्रि का अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री का होता है। इस दिन हरे रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह रंग सुख और समृद्धि का प्रतीक है।
सिद्धिदात्री माता को प्रिय फूल
मां सिद्धिदात्री को कमल और चंपा के फूल पसंद हैं। कहा जाता है कि इन फूलों को अर्पित करने से सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है और हर कार्य में सफलता मिलती है।
मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ हरे रंग के कपड़े पहनें।
- घर के पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें।
- एक चौकी पर मां सिद्धिदात्री की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- फिर हाथ में जल, अक्षत और पुष्प लेकर व्रत का संकल्प लें।
- मां सिद्धिदात्री का आह्वान कर गंगाजल या शुद्ध जल से मां की प्रतिमा को स्नान कराएं।
- देवी को रोली, मौली, हल्दी, कुमकुम, अक्षत, फूल और मालाएं चढ़ाएं।
- फिर मां को सफेद या नीले रंग के वस्त्र या चुनरी अर्पित करें।
- मां को हलवा, पूड़ी, चना, खीर, नारियल और मौसमी फल का भोग लगाएं।
- पूजा के दौरान “ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥” मंत्र का जाप करें।
- धूप और दीप से मां की आरती करें। दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- नवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष और विधिपूर्वक अनुष्ठान करें।
- अंत में, पूजा में हुई सभी गलतियों के लिए मां से क्षमा याचना करें।
सिद्धिदात्री माता की आरती
जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता,
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि
कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम
हाथ सेवक के सर धरती हो तुम,
तेरी पूजा में न कोई विधि है
तू जगदंबे दाती तू सर्वसिद्धि है
रविवार को तेरा सुमरिन करे जो
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो,
तू सब काज उसके कराती हो पूरे
कभी काम उस के रहे न अधूरे
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया
रखे जिसके सर पैर मैया अपनी छाया,
सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा
महानंदा मंदिर में है वास तेरा,
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता
वंदना है सवाली तू जिसकी दाता..
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