
पैरेंटिंग टिप्स: बच्चे अक्सर चंचल होते हैं और गलतियाँ करते रहते हैं। कई बार माता-पिता उनकी हरकतों से परेशान होकर उन्हें ताना मारने लगते हैं, बजाय इसके कि उन्हें समझाया जाए।
तानें किसी भी विषय पर हो सकती हैं, जैसे बच्चे का हंसना, किसी के सामने झिझकना, पढ़ाई में कम अंक लाना, या उनके कपड़ों के बारे में। जब माता-पिता ताना मारना शुरू करते हैं, तो यह एक निरंतर प्रक्रिया बन जाती है। लेकिन, इन तानों का बच्चों पर क्या असर पड़ता है? पैरेंटिंग विशेषज्ञ विभा शर्मा ने अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो में इस विषय पर चर्चा की है।
बच्चों पर ताना मारने का असर
विशेषज्ञ के अनुसार, जिन बच्चों को बार-बार ताना दिया जाता है, वे प्रयास करना छोड़ देते हैं। यदि आप बच्चे को उसके कम अंकों के लिए ताना मारते हैं, तो वह अपनी मेहनत करने की इच्छा ही खो सकता है। इसी तरह, यदि बच्चे के कपड़ों पर ताना मारा जाए, तो वह खुद को सुधारने की कोशिश नहीं करेगा।
पैरेंटिंग कोच की चेतावनियाँ
- माता-पिता का व्यवहार बच्चे की परवरिश पर गहरा असर डालता है। यदि बच्चे को बचपन में बहुत मारा जाता है, तो वे बड़े होकर या तो गुस्सैल हो जाते हैं या चुप रहने लगते हैं।
- जिन बच्चों का मजाक उड़ाया जाता है, उनका आत्मविश्वास बड़े होने पर कम हो जाता है।
- पैरेंटिंग कोच बताती हैं कि जिन बच्चों पर भरोसा नहीं किया जाता, वे बड़े होकर झूठ बोलने लगते हैं।
- जिन बच्चों की तारीफ नहीं की जाती, वे बड़े होकर खुद से प्यार करना भूल जाते हैं।
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