हर माता-पिता की ख्वाहिश होती है कि उनका बच्चा जीवन में सफल, आत्मविश्वासी और निडर बने। इसीलिए, आजकल पेरेंटिंग पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। जब बच्चा इस दुनिया में आता है, तो वह एक खाली स्लेट की तरह होता है, जिस पर जीवन के अनुभव अंकित होते हैं। स्कूलों में कई विषय पढ़ाए जाते हैं, लेकिन जीवन की चुनौतियों का सामना करना अक्सर नहीं सिखाया जाता। इसलिए, माता-पिता को बच्चों की मानसिक मजबूती के लिए कुछ विशेष मंत्रों का उपयोग करना चाहिए, जो उनमें हिम्मत, विश्वास और सकारात्मक सोच विकसित करते हैं।
पहला मंत्र है “ॐ” का उच्चारण। यह केवल एक शब्द नहीं है, बल्कि ऊर्जा का स्रोत है। प्रतिदिन सुबह और शाम तीन से पांच मिनट तक इसका उच्चारण करने से बच्चे का मन स्थिर होता है और गुस्सा, डर या बेचैनी जैसी भावनाओं पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
डर को समाप्त करने के लिए “ॐ श्री महाकालिकायै नमः” मंत्र अत्यंत प्रभावी है। यह मां काली की शक्ति का प्रतीक है, जो बच्चों को सुरक्षा का अनुभव कराता है और उन्हें भय से दूर रखता है। यदि बच्चे को अकेले सोने में डर लगता है, तो इसे तीन बार जपना बहुत लाभकारी होता है।
नकारात्मक विचारों और भय से सुरक्षा के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप किया जा सकता है। यह न केवल मृत्यु के भय को दूर करता है, बल्कि चिंता और घबराहट को भी शांत करता है। बच्चों को धीरे-धीरे इस मंत्र का अर्थ समझाकर याद करना चाहिए।
भरोसा और विश्वास बढ़ाने के लिए “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का उपयोग किया जा सकता है, जो सिखाता है कि हर घटना का कोई न कोई कारण होता है। जब बच्चे चिंतित होते हैं, यह मंत्र उन्हें समंजस और शांति प्रदान करता है।
निडरता और साहस का प्रतीक हनुमान जी की चालीसा बच्चों को कठिन समय में मजबूत बनाती है। इसमें मानसिक शक्ति और आत्मबल बढ़ाने वाली ऊर्जा होती है, जिसे बच्चों को नियमित रूप से पढ़ना चाहिए।
यदि मंत्र जपने में बच्चे को कठिनाई हो, तो उन्हें सरल वाक्य “मैं निडर हूं और मुझमें आत्मविश्वास है। मैं यह कर सकता हूं।” रोज सुबह और रात को दोहराने के लिए कहा जाना चाहिए। यह प्रतिज्ञा उनके मनोबल को ऊंचा करती है और सफलता की ओर अग्रसर करती है।
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