दिल्ली के झंडेवाला देवी मंदिर द्वारा बच्चों को वेद मंत्र सिखाए जाते हैं और संस्कृत भाषा का ज्ञान दिया जाता है। झंडेवाला देवी मंदिर के प्रबंधक के अनुसार वर्ष 1944 में बद्रीभक्त झंडेवाला मंदिर सोसायटी के नाम से ट्रस्ट का गठन किया गया था। तब से लेकर आज तक मंदिर ट्रस्ट की ओर से लगातार समाज हित के लिए ये सब किया जा रहा है। झंडेवाला देवी मंदिर ट्रस्ट पिछले कई वर्षाें से लगातार सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता है।
ट्रस्ट की मदद से उत्तर पूर्वी दिल्ली स्थित मंडोली इलाके में एक वेद विद्यालय चलाया जा रहा है। यहां पर छात्रों को वेद मंत्रों के साथ अंग्रेजी की पढ़ाई कराई जाती है। इस जगह पर 80 से अधिक छात्र पढ़ते हैं और संस्कृत भाषा सिखते हैं। झंडेवाला देवी मंदिर के प्रबंधक रविंद्र गोयल ने बताया कि मंदिर ट्रस्ट की मदद से 15 साल पहले मंडोली इलाके में एक वेद विद्यालय बनाया गया। जहां पहले केवल देश के अलग-अलग राज्यों से आने वाले व नेपाल से आए छात्रों को वेद मंत्रों की शिक्षा दी जाती थी। लेकिन अब छात्रों को अंग्रेजी, गणित समेत अन्य विषयों की भी शिक्षा दी जाती हैं।
इन्होंने बताया कि छात्रों की अलग-अलग कक्षाएं लगाई जाती हैं। यहां पर फिलहाल 84 छात्र पढ़ रहे हैं। इन सभी छात्रों से एक रूपए भी पढ़ाई के लिए नहीं लिए जाते हैं। इतना ही नहीं इन्हें खाना भी मंदिर ट्रस्ट की ओर से दिया जाता है। पढ़ाई से लेकर खाने-पीने तक का सभी खर्चा मंदिर ट्रस्ट 15 सालों से उठा रहा है।
छात्रों के रहने की व्यवस्था भी यहां की गई है और सभी छात्र विद्यालय परिसर में बने कमरों में ही रहते हैं। उनकी देखरेख करने के लिए कर्मचारियों को भी रखें गए हैं। जो कि ये सुनिश्चित करते हैं कि इन्हें किसी प्रकार की कोई तकलीफ न हो।
प्रबंधक ने कहा कि विद्यालय परिसर में 14-14 दिनों का संवाद रखा जाता है। जिसमें केवल संस्कृत भाषा में वार्ता की जाती है। इसमें विद्यालय के छात्रों के संग बाहरी व्यक्ति भी हिस्सा लेते हैं। यहां पर नेपाल, श्रीलंका समेत अन्य देशों के नागरिक आकर संवाद में किया करते है। उसके बाद प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट भी दिया जाता है।
बद्रीभक्त झंडेवाला मंदिर सोसायटी द्वारा ही हरियाणा मानेसर के पंचगांव में एक गोशाला का संचालन भी किया जाता है। जहां 300 गायों हैं और इनकी दिन रात सेवा की जाती है। मंडोली ने एक निशुल्क चिकित्सा केंद्र भी खोल रखा है। जिसमें चिकित्सकीय परामर्श के साथ दवाएं दी जाती हैं। इतना ही नहगीं एक डिस्पेंसरी मंदिर परिसर में है।
महिलाओं के लिए यहां एक सिलाई-कढ़ाई का केंद्र भी शुरू किया गया है। जहां पर महिलाओं को सिलाई व कढ़ाई अच्छे से सिखाई जाती है। ये केंद्र आठ सालों से चल रहा है और कई सारी महिलाएं यहां पर आती हैं।
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