New Delhi, 2 सितंबर . उत्तर-पूर्वी दिल्ली में साल 2020 में हुए भीषण दंगों की साजिश से जुड़े मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने Tuesday को बड़ा और अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने यूएपीए के तहत आरोपी तस्लीम अहमद की जमानत याचिका खारिज कर दी है. तस्लीम पिछले 5 वर्षों से जेल में बंद है और उसने लंबे समय से कैद में होने का हवाला देते हुए जमानत की गुहार लगाई थी.
तस्लीम अहमद के साथ ही इस केस से जुड़े उमर खालिद, शरजील इमाम, मोहम्मद सलीम खान, शिफा-उर-रहमान, अतहर खान, मीरान हैदर, अब्दुल खालिद सैफी और गुलफिशा फातिमा की जमानत याचिकाओं को भी हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है.
अदालत ने कहा कि यह सिर्फ दंगे का मामला नहीं है, बल्कि एक सुनियोजित साजिश है, जिसका मकसद देश में हिंसा फैलाना और भारत की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धूमिल करना था.
अभियोजन की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि यह एक गहरी साजिश थी, जो देश की एकता और अखंडता के खिलाफ थी. उन्होंने कहा कि सिर्फ इस आधार पर जमानत नहीं दी जा सकती कि आरोपी कई वर्षों से जेल में हैं.
वहीं, शरजील इमाम के वकील ने अदालत में दलील दी कि उसका दंगे के स्थान और समय से कोई लेना-देना नहीं था और उसने कभी अपने भाषणों में हिंसा या दंगे के लिए उकसाया नहीं. वकील ने व्हाट्सएप चैट और सार्वजनिक भाषणों को पेश करते हुए यह साबित करने की कोशिश की कि शरजील की किसी भी प्रकार की हिंसा में सीधी भूमिका नहीं थी.
अदालत ने अभियोजन पक्ष की दलीलों को प्राथमिकता देते हुए सभी आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं.
बता दें कि सीएए और एनआरसी के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे. इस मामले में कई प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ताओं और छात्र नेताओं पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत गंभीर आरोप लगाए गए हैं.
शरजील इमाम को 25 अगस्त 2020 को गिरफ्तार किया गया था.
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वीकेयू/जीकेटी
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