Next Story
Newszop

शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी 13 साल के निचले स्तर पर, घरेलू संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी रिकॉर्ड हाई पर

Send Push

नई दिल्ली, 05 सितंबर (Udaipur Kiran News). वैश्विक दबाव और टैरिफ संबंधी आशंकाओं के चलते विदेशी निवेशक इस साल लगातार भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली कर रहे हैं. इसका असर उनकी बाजार हिस्सेदारी पर पड़ा है, जो अगस्त में घटकर पिछले 13 साल के निचले स्तर पर आ गई है. वहीं, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) की हिस्सेदारी अब तक के सर्वाधिक 17.82 प्रतिशत पर पहुंच गई है.

विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी घटी

नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त महीने में विदेशी पोर्टफोलियो असेट्स घटकर 70.33 लाख करोड़ रुपये रह गए, जबकि जुलाई में यह 71.97 लाख करोड़ रुपये थे. यानी इसमें करीब 2.30 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई. अगस्त के अंत तक एफपीआई की हिस्सेदारी घटकर 15.85 प्रतिशत रह गई.

घरेलू संस्थागत निवेशकों का दबदबा

इस साल जनवरी से अब तक विदेशी निवेशकों ने करीब 1.70 लाख करोड़ रुपये की निकासी की है. दूसरी ओर, घरेलू संस्थागत निवेशकों ने लगातार खरीदारी की है और अब तक 5.20 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है. इसके चलते उनकी हिस्सेदारी रिकॉर्ड 17.82 प्रतिशत तक पहुंच गई है. मार्च 2024 में पहली बार डीआईआई ने एफपीआई को बाजार हिस्सेदारी में पीछे छोड़ा था और तब से उनका दबदबा बढ़ता जा रहा है.

विशेषज्ञ की राय

टीएनवी फाइनेंशियल सर्विसेज के सीईओ तारकेश्वर नाथ वैष्णव का कहना है कि विदेशी और घरेलू निवेशकों की हिस्सेदारी का बढ़ता अंतर इस ओर इशारा करता है कि भारतीय शेयर बाजार अब पूरी तरह से विदेशी निवेशकों पर निर्भर नहीं है. उन्होंने कहा कि लगातार बिकवाली के बावजूद सेंसेक्स और निफ्टी में जनवरी से अब तक लगभग 4 प्रतिशत की तेजी आई है.

वैष्णव ने कहा कि अगर डीआईआई ने इतनी बड़ी मात्रा में निवेश नहीं किया होता, तो विदेशी बिकवाली से बाजार पर गंभीर असर पड़ सकता था. घरेलू निवेशकों ने हिस्सेदारी बढ़ाकर विदेशी वर्चस्व को चुनौती दी है, जिसे भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार के भविष्य के लिए सकारात्मक संकेत माना जाना चाहिए.

Loving Newspoint? Download the app now