New Delhi, 27 अक्टूबर . भारतीय वायुसेना ने लद्दाख में गंभीर रूप से बीमार एक व्यक्ति को सही समय पर अस्पताल पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. बीमार व्यक्ति को अविलंब एयरलिफ्ट किया गया और चिकित्सा सहायता के लिए दिल्ली लाया गया. लद्दाख से मिली इस आपातकालीन चिकित्सा सहायता की कॉल पर भारतीय वायुसेना ने एक पूरी तत्परता और मानवीय संवेदनशीलता का परिचय दिया है.
वायुसेना के इस मिशन का उद्देश्य एक 38 वर्षीय लद्दाखी नागरिक को, जो गंभीर स्थिति में था, लेह से दिल्ली पहुंचाकर बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना था.
वायुसेना के मुताबिक, केंद्रीय शासित प्रदेश लद्दाख प्रशासन के अनुरोध पर भारतीय वायुसेना के सी-130 हरक्यूलिस विमान को अत्यंत कम समय में आपातकालीन मेडिकल इवैक्युएशन मिशन के लिए तैनात किया गया.
Monday को इस संबंध में जानकारी देते हुए वायुसेना ने बताया कि रात के समय, अत्यंत चुनौतीपूर्ण हिमालयी भौगोलिक परिस्थितियों में यह मिशन संचालित किया गया. यह पूरा मिशन घने अंधेरे और अत्यंत ऊंचाई वाले कठिन इलाके में था. यहां उड़ान भरते हुए भारतीय वायुसेना के पायलटों और क्रू ने अद्वितीय साहस, कौशल और पेशेवर दक्षता का परिचय दिया. समय पर की गई इस जीवन रक्षक उड़ान ने न केवल एक बीमार व्यक्ति को तत्काल चिकित्सा सहायता दिलाई, बल्कि यह भी साबित किया कि भारतीय वायुसेना कहीं भी, कभी भी मानवता की सेवा के लिए तत्पर है.
वायुसेना के इस मानवीय प्रयास की पूरे क्षेत्र में सराहना की जा रही है. यह मिशन भारतीय वायुसेना के उस मूल मंत्र को सशक्त रूप से रेखांकित करता है जो केवल रक्षा ही नहीं, बल्कि आपदा राहत और मानवीय सहायता कार्यों में भी उसकी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
गौरतलब है कि पिछले महीने ही लद्दाख की बर्फ से ढकी खतरनाक चोटियों पर दो विदेशी नागरिकों के फंसने का एक गंभीर मामला भी सामने आया था. यहां दो कोरियाई नागरिक 17,000 फीट से अधिक ऊंचाई वाली चोटी पर फंसे हुए थे. सेना को इस घटना का पता लगने पर बिना देरी किए रात के गुप अंधेरे में ही एक अत्यंत संवेदनशील व साहसिक ऑपरेशन चलाया गया. यह अभियान भारतीय सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर की आर्मी एविएशन यूनिट द्वारा सफलतापूर्वक संपन्न किया गया था. कड़ी मेहनत के बाद दोनों विदेशी नागरिकों को बचा लिया गया. दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्हें तुरंत व आवश्यक उपचार मिल सका.
सेना के इस मिशन के तहत दक्षिण कोरिया के नागरिक ह्यून वू किम और उनकी पत्नी को सुरक्षित बचाया गया था. ये विदेशी दंपति लद्दाख स्थित कोंगमारुला दर्रे में फंसे हुए थे. रात का समय होने के कारण यह ऑपरेशन काफी कठिन था. वहीं चुनौतियां और बढ़ गई थीं क्योंकि यह दुर्गम इलाका 17,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यहां चारों ओर बर्फ से ढके खतरनाक शिखर हैं और अनियमित मौसम के कारण उड़ान संचालन बेहद कठिन हो जाता है. बावजूद इसके सेना ने बिना समय गवाए तेजी से कार्रवाई की. ऐसे खतरनाक माहौल में भी सेना के पायलट सफल लैंडिंग में कामयाब रहे. सेना की बचाव टीम ने तुरंत कार्यवाही करते हुए दोनों विदेशी नागरिकों को हेलीकॉप्टर में सुरक्षित स्थानांतरित किया.
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जीसीबी/एसके
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