लाइव हिंदी खबर :-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय विदेश सेवा (IFS) के 2024 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों (ऑफिसर ट्रेनीज़) से मुलाकात कर उन्हें भारत की कूटनीति, वैश्विक चुनौतियों और आधुनिक तकनीक के प्रयोग से जुड़ी महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए। यह बैठक न केवल भावी राजनयिकों के लिए प्रेरणादायी रही, बल्कि भारत की विदेश नीति की नई प्राथमिकताओं और रणनीतिक दृष्टिकोण की झलक भी प्रस्तुत करती है।
प्रधानमंत्री ने अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज की दुनिया कई बहुआयामी संकटों और चुनौतियों से गुजर रही है। जलवायु परिवर्तन, वैश्विक ऊर्जा संकट, आर्थिक असमानता, भू-राजनीतिक तनाव और तकनीकी बदलाव ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर कूटनीतिक स्तर पर गंभीरता से कार्य करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आईएफएस अधिकारियों को इन चुनौतियों को अवसरों में बदलने की क्षमता विकसित करनी होगी।
मोदी ने यह भी रेखांकित किया कि भारत अब केवल एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक निर्णायक भूमिका निभा रहा है। चाहे वह जी20 की अध्यक्षता हो, अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर विकासशील देशों की आवाज़ उठाना हो या फिर दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मजबूत करना, भारत का योगदान लगातार बढ़ रहा है।
तकनीक के अधिकतम उपयोग पर ज़ोरप्रधानमंत्री ने अधिकारियों को सलाह दी कि वे डिजिटल डिप्लोमेसी को अपनाएं और तकनीक का रचनात्मक उपयोग करें। आज कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), बिग डेटा, साइबर सुरक्षा और डिजिटल प्लेटफॉर्म कूटनीति का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय राजनयिकों को न केवल अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में तकनीक के महत्व को समझना चाहिए बल्कि उसे भारत के हितों के लिए प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करना भी आना चाहिए।
प्रवासी भारतीयों के साथ संबंधपीएम मोदी ने भारतीय प्रवासी समुदाय (डायस्पोरा) के महत्व पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीय न केवल भारत की संस्कृति, परंपरा और मूल्यों के दूत हैं, बल्कि वे निवेश, नवाचार और वैश्विक नेटवर्किंग में भी अहम योगदान देते हैं। इसलिए राजनयिकों को उनके साथ गहरे और सार्थक संबंध स्थापित करने चाहिए।
सेवा भावना और राष्ट्रीय हित सर्वोपरिप्रधानमंत्री ने प्रशिक्षु अधिकारियों को प्रेरित करते हुए कहा कि उनकी सबसे बड़ी ताकत सेवा भावना है। उन्होंने उन्हें यह स्मरण दिलाया कि किसी भी परिस्थिति में भारत का राष्ट्रीय हित सर्वोपरि होना चाहिए। विदेश सेवा केवल करियर का साधन नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र सेवा का एक माध्यम है।
प्रधानमंत्री का ट्वीटअपनी मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया:
“2024 बैच के आईएफएस प्रशिक्षुओं से बातचीत की। कई विषयों पर चर्चा की, जिनमें वैश्विक चुनौतियां, तकनीक का बढ़ता उपयोग और प्रवासी भारतीयों के साथ संबंधों को गहरा करना शामिल है।”
विदेश नीति विशेषज्ञों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी का यह संवाद युवा राजनयिकों के लिए अत्यंत प्रेरणादायी है। इससे उन्हें न केवल भारत की विदेश नीति की प्राथमिकताओं को समझने में मदद मिलेगी बल्कि उनकी सोच भी अधिक व्यापक और दूरदर्शी होगी।
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