जब आप रात के आसमान में चमकते सितारों को देखते हैं, तो क्या कभी सोचा है कि उन्हीं में से एक तेज़ चमकती ‘बिंदु’ असल में एक अंतरिक्ष स्टेशन हो सकता है? जी हाँ, हम बात कर रहे हैं इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) की, जो धरती से करीब 400 किलोमीटर की ऊँचाई पर बेहद तेज रफ्तार से लगातार चक्कर लगाता है।
कितना तेज़ दौड़ता है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन?
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन लगभग 28,000 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से पृथ्वी के चारों ओर घूमता है। इस गति से यह स्टेशन हर 90 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर पूरा कर लेता है। यानी कि यह एक दिन में लगभग 16 बार पृथ्वी की परिक्रमा करता है।
यह रफ्तार इतनी तेज़ है कि यदि धरती पर कोई वाहन इस स्पीड से दौड़े, तो वह महज 90 मिनट में दिल्ली से न्यूयॉर्क पहुंच सकता है।
क्या नजर आता है ISS धरती से?
हां, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को धरती से नंगी आंखों से देखा जा सकता है, लेकिन सही समय और स्थान होना जरूरी है। यह आमतौर पर सुबह सूर्योदय से पहले या शाम सूरज ढलने के बाद आसमान में एक चमकते हुए तारे की तरह दिखाई देता है।
यह तारा धीरे-धीरे बिना टिमटिमाए आकाश में आगे बढ़ता है और कुछ मिनटों में ओझल हो जाता है।
नासा और कई अन्य स्पेस एजेंसियाँ इसकी ट्रैकिंग के लिए वेबसाइट और मोबाइल ऐप्स भी उपलब्ध कराती हैं, जिनसे आप जान सकते हैं कि ISS आपके शहर के ऊपर कब से कब तक दिखाई देगा।
क्यों खास है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन?
ISS एक संयुक्त अंतरराष्ट्रीय परियोजना है जिसमें अमेरिका (NASA), रूस (Roscosmos), यूरोप (ESA), जापान (JAXA) और कनाडा (CSA) की स्पेस एजेंसियाँ शामिल हैं। इसे 1998 में लॉन्च किया गया था और तब से यह मानव उपस्थिति के साथ लगातार काम कर रहा है।
इसमें वैज्ञानिक माइक्रोग्रैविटी यानी अंतरिक्ष की शून्यता में प्रयोग करते हैं, जो पृथ्वी पर संभव नहीं। चिकित्सा, जीवविज्ञान, मौसम, पृथ्वी अध्ययन और अंतरिक्ष तकनीक जैसे क्षेत्रों में इसके प्रयोगों का बड़ा योगदान है।
कौन रहते हैं इसमें?
ISS में एक समय में 6 से 7 अंतरिक्ष यात्री रह सकते हैं। वे वहाँ 6 महीने तक रहते हैं और मिशनों के अनुसार बदलते रहते हैं। यह स्टेशन पूरी तरह से सौर ऊर्जा से चलता है और इसके पंख (सोलर पैनल्स) किसी फुटबॉल मैदान जितने बड़े होते हैं।
क्या भविष्य में आम लोग जा सकेंगे?
स्पेस टूरिज्म के बढ़ते चलन के साथ अब यह संभव हो रहा है कि आने वाले दशकों में आम लोग भी स्पेस स्टेशन की सैर कर सकें। कुछ प्राइवेट कंपनियाँ इस दिशा में काम कर रही हैं।
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