पटना: कला संस्कृति एवं युवा विभाग तथा भारतीय नृत्य कला मंदिर के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को प्रेमचंद रंगशाला में मेघ मल्हार उत्सव 2025 का भव्य आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ विभाग की सांस्कृतिक कार्य निदेशालय की निदेशक श्रीमती रूबी, प्रशासी पदाधिकारी भारतीय नृत्य कला मंदिर सुश्री कहकशां, प्रेमचंद्र रंगशाला की सह-सचिव सुश्री कृति आलोक और श्री महमूद आलम, संयुक्त सचिव, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा दीप प्रज्वलन से किया गया।
मेघ मल्हार उत्सव 2025
इस दौरान “तमसो मां ज्योतिर्गमय” के उदघोष ने पूरे सभागार को दिव्यता और आध्यात्मिकता के आलोक से भर दिया।कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति ने ही दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कटिहार के युवा कथक नर्तक राहुल रजक ने पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज द्वारा निर्देशित और उन्हीं की आवाज में गाए आचार्य वल्लभाचार्य रचित मधुराष्टकं पर भावपूर्ण कथक प्रस्तुति दी। भगवान कृष्ण की मधुरता का अनुपम चित्रण करती इस रचना ने उत्सव की दिव्यता और भव्यता को और बढ़ा दिया।
घनघोर बादल की गर्जन
इसके बाद घनघोर बादल की संगीतमय गरजन पर राहुल ने सावन के भाद्रपदी रंग को सजीव कर दिया। अंतिम प्रस्तुति में बिरह की कसक लिए कजरी पर राहुल ने कथक का अनूठा प्रयोग कर दर्शकों को बादलों की गड़गड़ाहट, बिजलियों की चमक और बूंदों की टपकन का सजीव अनुभव कराया।
प्रसिद्ध गायक अली खां का गीत
इस अवसर पर राजस्थान से आए प्रसिद्ध गायक अली खां और उनके दल ने पधारो मारे देश जैसे पारंपरिक स्वागत गीत से बिहार की मेहमाननवाजी को और गरिमा प्रदान की। उनकी आवाज की खनक और सुरों की मिठास ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। इसके साथ ही दल ने निबुड़ा और दमादम मस्त कलंदर जैसे सदाबहार गीतों के साथ राजस्थानी लोकनृत्य प्रस्तुत कर पूरे सभागार को झूमने पर विवश कर दिया।
सांस्कृतिक रंगत भी दिखी मंच पर
कार्यक्रम के अंतिम चरण में बिहार की सांस्कृतिक रंगत भी मंच पर सजी। पूर्णिया से आई चांदनी शुक्ला और उनकी टीम ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने शुरुआत मैथिली के महान कवि विद्यापति द्वारा रचित गीत से की, जिसके बाद भोजपुरी और मैथिली लोकगीतों की झड़ी लगाकर बिहार की माटी की सुगंध बिखेर दी। साथ ही भारतीय नृत्य कला मंदिर के कलाकारों ने हरिहर और श्री हरि के यशगान पर नृत्य कर कार्यक्रम का भक्तिमय समापन किया
मेघ मल्हार उत्सव 2025
इस दौरान “तमसो मां ज्योतिर्गमय” के उदघोष ने पूरे सभागार को दिव्यता और आध्यात्मिकता के आलोक से भर दिया।कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति ने ही दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कटिहार के युवा कथक नर्तक राहुल रजक ने पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज द्वारा निर्देशित और उन्हीं की आवाज में गाए आचार्य वल्लभाचार्य रचित मधुराष्टकं पर भावपूर्ण कथक प्रस्तुति दी। भगवान कृष्ण की मधुरता का अनुपम चित्रण करती इस रचना ने उत्सव की दिव्यता और भव्यता को और बढ़ा दिया।
घनघोर बादल की गर्जन
इसके बाद घनघोर बादल की संगीतमय गरजन पर राहुल ने सावन के भाद्रपदी रंग को सजीव कर दिया। अंतिम प्रस्तुति में बिरह की कसक लिए कजरी पर राहुल ने कथक का अनूठा प्रयोग कर दर्शकों को बादलों की गड़गड़ाहट, बिजलियों की चमक और बूंदों की टपकन का सजीव अनुभव कराया।
प्रसिद्ध गायक अली खां का गीत
इस अवसर पर राजस्थान से आए प्रसिद्ध गायक अली खां और उनके दल ने पधारो मारे देश जैसे पारंपरिक स्वागत गीत से बिहार की मेहमाननवाजी को और गरिमा प्रदान की। उनकी आवाज की खनक और सुरों की मिठास ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। इसके साथ ही दल ने निबुड़ा और दमादम मस्त कलंदर जैसे सदाबहार गीतों के साथ राजस्थानी लोकनृत्य प्रस्तुत कर पूरे सभागार को झूमने पर विवश कर दिया।
सांस्कृतिक रंगत भी दिखी मंच पर
कार्यक्रम के अंतिम चरण में बिहार की सांस्कृतिक रंगत भी मंच पर सजी। पूर्णिया से आई चांदनी शुक्ला और उनकी टीम ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने शुरुआत मैथिली के महान कवि विद्यापति द्वारा रचित गीत से की, जिसके बाद भोजपुरी और मैथिली लोकगीतों की झड़ी लगाकर बिहार की माटी की सुगंध बिखेर दी। साथ ही भारतीय नृत्य कला मंदिर के कलाकारों ने हरिहर और श्री हरि के यशगान पर नृत्य कर कार्यक्रम का भक्तिमय समापन किया
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