जंगलों में ट्रेकिंग करना..वहां कैंपिंग करना आखिर किसे पसंद नहीं है! लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जंगल हमारा नहीं बल्कि खूंखार जानवरों का घर है। यहां उनका राज चलता है। ऐसे में जरा सी लापरवाही जान पर बन सकती है। ऐसा ही कुछ हुआ एक शख्स के साथ। वो जंगल में कैंपिंग का लुत्फ उठा रहा था। लेकिन एक छोटी सी चूक की वजह से वो 2 लकड़बग्घों का निवाला बन ही गया था। वो आराम से जंगल में टेंट लगाकर सो रहा था, लेकिन इन जंगली जानवरों ने उसे टेंट में से ही खींच निकाला।
यह शख्स सोलो ट्रैवलिंग का शौकीन है। 27 साल के निकोलस पिता के साथ खेती-बाड़ी करते हैं। कुछ ही दिन पहले वो साउथ अफ्रीका के केप विडाल नेचर रिजर्व में कैंपिंग के लिए गया हुआ था। उसके पिता भी साथ में थे। शराब पार्टी करने के बाद दोनों अपने-अपने टेंट में जाकर सो गए। नशे की वजह से निकोलस की आंख तुरंत लग गई। लेकिन जैसे ही उसकी आंख खुली तो दो लकड़बग्घों की चमकती आंखें उसे दिखाई दी। एक ने उसके सिर में दांत गड़ा रखे थे, तो दूसरे ने पैरों में। एक बार तो लगा कि सपना है, लेकिन दर्द ने खौफनाक हकीकत से सामना करा दिया।
आखिर कैसे बना शिकार दरअसल निकोलस से एक छोटी सी गलती हो गई, जिस वजह से उसकी जान जाते-जाते बची। उसने अपने टेंट को पूरी तरह से बंद नहीं किया और थोड़ी सी जिप खुली छोड़ दी ताकि हवा आती रहे। बस यही चूक भारी पड़ गई। भूखे लकड़बग्घे खाने की तलाश में भटक रहे थे और उन्हें गंध आने लगी। थोड़े से खुले टेंट से उनके लिए घुसना आसान हो गया। दोनों ने चुपचाप निकोलस को दबोच लिया। लकड़बग्घे उसे जंगल की ओर खींचकर अंधेरे में ले जाना चाहते थे, जहां आसानी से उसे अपना निवाला बनाते।
लकड़बग्घों से खूनी जंग निकोलस मुसीबत में फंस चुका था, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। लकड़बग्घे उसके शरीर को नोंच रहे थे और दर्द से कराह रहा था। फिर भी उसने पूरी हिम्मत जुटाकर एक लकड़बग्घे के मुंह में हाथ डालकर उसे पीछे धकेल दिया। दूसरे की आंख में उंगली मारकर उससे पीछा छुड़ाया। चीख-पुकार सुनकर उसके पिता भी तुरंत टॉर्च लेकर दौड़े चले आए और लकड़बग्घे भाग खड़े हुए। निकोलस के चेहरे और पैरों पर गहरे घाव हो चुके थे। चारों तरफ खून ही खून था। लेकिन गनीमत यह थी वो जंगली जानवर का निवाला बनने से बच गया।
दो घंटे बाद पहुंचा अस्पताल निकोलस और उसके पिता घने जंगल में थे और वहां स्वास्थ्य सुविधाएं भी नहीं थीं। खून से लथपथ निकालेस को लेकर उसके पिता लगभग दो घंटे तक ड्राइव करते रहे। तब जाकर वो तड़के 3 बजे अस्पताल पहुंच सके। निकोलस अब खतरे से बाहर है, लेकिन एक गलती उसे हमेशा याद रहेगी।
यह शख्स सोलो ट्रैवलिंग का शौकीन है। 27 साल के निकोलस पिता के साथ खेती-बाड़ी करते हैं। कुछ ही दिन पहले वो साउथ अफ्रीका के केप विडाल नेचर रिजर्व में कैंपिंग के लिए गया हुआ था। उसके पिता भी साथ में थे। शराब पार्टी करने के बाद दोनों अपने-अपने टेंट में जाकर सो गए। नशे की वजह से निकोलस की आंख तुरंत लग गई। लेकिन जैसे ही उसकी आंख खुली तो दो लकड़बग्घों की चमकती आंखें उसे दिखाई दी। एक ने उसके सिर में दांत गड़ा रखे थे, तो दूसरे ने पैरों में। एक बार तो लगा कि सपना है, लेकिन दर्द ने खौफनाक हकीकत से सामना करा दिया।
आखिर कैसे बना शिकार दरअसल निकोलस से एक छोटी सी गलती हो गई, जिस वजह से उसकी जान जाते-जाते बची। उसने अपने टेंट को पूरी तरह से बंद नहीं किया और थोड़ी सी जिप खुली छोड़ दी ताकि हवा आती रहे। बस यही चूक भारी पड़ गई। भूखे लकड़बग्घे खाने की तलाश में भटक रहे थे और उन्हें गंध आने लगी। थोड़े से खुले टेंट से उनके लिए घुसना आसान हो गया। दोनों ने चुपचाप निकोलस को दबोच लिया। लकड़बग्घे उसे जंगल की ओर खींचकर अंधेरे में ले जाना चाहते थे, जहां आसानी से उसे अपना निवाला बनाते।
Nicolas Hohls, 27, recounts a harrowing survival battle against two hyenas that invaded his tent at Cape Vidal Nature Reserve in South Africa, leaving him with severe injuries and a newfound gratitude for life. pic.twitter.com/AXBtAJh2u9
— Nyra Kraal (@NyraKraal) September 3, 2025
लकड़बग्घों से खूनी जंग निकोलस मुसीबत में फंस चुका था, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। लकड़बग्घे उसके शरीर को नोंच रहे थे और दर्द से कराह रहा था। फिर भी उसने पूरी हिम्मत जुटाकर एक लकड़बग्घे के मुंह में हाथ डालकर उसे पीछे धकेल दिया। दूसरे की आंख में उंगली मारकर उससे पीछा छुड़ाया। चीख-पुकार सुनकर उसके पिता भी तुरंत टॉर्च लेकर दौड़े चले आए और लकड़बग्घे भाग खड़े हुए। निकोलस के चेहरे और पैरों पर गहरे घाव हो चुके थे। चारों तरफ खून ही खून था। लेकिन गनीमत यह थी वो जंगली जानवर का निवाला बनने से बच गया।
दो घंटे बाद पहुंचा अस्पताल निकोलस और उसके पिता घने जंगल में थे और वहां स्वास्थ्य सुविधाएं भी नहीं थीं। खून से लथपथ निकालेस को लेकर उसके पिता लगभग दो घंटे तक ड्राइव करते रहे। तब जाकर वो तड़के 3 बजे अस्पताल पहुंच सके। निकोलस अब खतरे से बाहर है, लेकिन एक गलती उसे हमेशा याद रहेगी।