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'फिल्म के सेट पर अलग कमरा, मूवी के बजट से खरीदते हैं नशे का सामान, ड्रग्स के दलदल में डूबी है इंडस्ट्री'

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सिनेमा के सितारे और ड्रग्‍स की दुनिया का कनेक्‍शन नया नहीं है। फिर चाहे बॉलीवुड में संजय दत्त हो, फरदीन खान हो या फिर सुशांत सिंह राजपूत, हर बार बॉलीवुड को लेकर सवाल उठते रहे हैं। लेकिन शायद इससे भी बुरा हाल मलयालम फिल्‍म इंडस्‍ट्री का है। बीते दिनों एक्‍टर शाइन टॉम चाको को लेकर एक्‍ट्रेस विंसी अलोश‍ियस ने बड़ा खुलासा किया था। दावा किया था कि वह सेट पर भी ड्रग्‍स के नशे में रहते हैं। अब मॉलीवुड की दिग्‍गज प्रोड्यूसर और एक्‍ट्रेस सैंड्रा थॉमस ने इससे भी अजीब और चौंकाने वाली बात कही है। फिल्‍मेकर ने कहा कि मॉलीवुड नशे के गटर में इस कदर डूबा हुआ है कि वहां फिल्‍म के लिए तय बजट में से ही 'ड्रग्‍स के पैसे' भी तय किए जाते हैं।दो साल पहले 2023 में भी जब मॉलीवुड में ड्रग्‍स के बढ़ते इस्‍तेमाल के संगीन आरोप लगे थे, तब सैंड्रा थॉमस ने खुलकर आवाज बुलंद की थी। अब एक नए इंटरव्‍यू में फिल्‍ममेकर ने कहा है कि मलयालम सिनेमा में 'बड़े पैमाने पर नशीली दवाओं का उपयोग' आज भी हो रहा है। वह कहती हैं कि इन दो साल में बहुत कुछ नहीं बदला है। बल्‍क‍ि स्थिति और भी खराब हो सकती है, क्योंकि माहौल ऐसा है कि यहां ड्रग्‍स खरीदने के लिए फिल्‍म के बजट का इस्‍तेमाल होने लगा है। सैंड्रा बोलीं- सेट पर क्या हो रहा है, यह सभी जानते हैंसैंड्रा ने बीते दिनों इस मुद्दे की निगरानी करने वाले एसोस‍िएशन की भी जमकर आलोचना की थी। कहा था कि ये एसोस‍िएशन कुछ नहीं कर रहे हैं। अब उन्होंने 'ऑनलाइन मनोरमा' से बातचीत में कहा, 'संबंधित एसोसिएशनों को कम से कम पांच या दस साल पहले मॉलीवुड में नशीली दवाओं के इस्तेमाल के खिलाफ उचित कदम उठाना चाहिए था। सेट पर क्या हो रहा है, यह सभी जानते हैं। लेकिन किसी ने भी सुधार की ओर कदम नहीं उठाया, क्योंकि उन्हें अपने आगे के प्रोजेक्ट में इन लोगों की जरूरत है।' 'फिल्‍म के सेट पर होता अलग कमरा' सैंड्रा थॉमस यहीं नहीं रुकीं। उन्‍होंने एक कदम आगे बढ़ते हुए यह भी आरोप लगाया कि निर्माता अब फिल्म के बजट से ड्रग्स खरीदने के लिए पैसे निकाल रहे हैं। उन्होंने कहा, 'अब इसके लिए खास बजट तय किया जा रहा है। इसके लिए सेट पर अलग से कमरे भी बनाए जा रहे हैं। हालांकि, एसोसिएशन का कहना है कि एक या दो लोगों की वजह से पूरी इंडस्ट्री को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। मैंने लिस्टिन (मैजिक फ्रेम्स के निर्माता लिस्टिन स्टीफन) को कुछ दिन पहले ऐसा बयान देते सुना। तो, क्या लिस्टिन जैसे लोग इस समस्या से वाकिफ नहीं हैं? क्या उन्हें नहीं पता कि ड्रग्स खुलेआम उपलब्ध हैं और सेट पर उनका इस्तेमाल किया जाता है?' सैंड्रा बोलीं- मर्द, औरत... सब करते हैं ड्रग्‍स का इस्‍तेमालसाल 2012 में 'फ्राइडे' जैसी फिल्‍म बना चुकीं सैंड्रा ने कहा, 'सच यही है कि ऐसे लोगों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। बल्‍क‍ि यह अब उस स्तर पर पहुंच गया है जहां मर्द और औरत, हर कोई, चाहे उनकी स्थिति कुछ भी हो, ड्रग्‍स का इस्तेमाल करता है।' श‍िकायत करने से डरते हैं फिल्‍ममेकर्ससैंड्रा थॉमस कहती हैं, 'फिल्‍म निर्माता इस डर से एक्‍टर्स और कास्‍ट की शिकायत करने को तैयार नहीं हैं कि इससे उनकी फिल्‍मे रुक जाएंगी। अगर कोई सेट पर पकड़ा जाता है, तो शूटिंग रुक जाती है। इससे एक्‍टर्स की साख भी खराब होती है। अगर उसकी साख खत्म हो जाती है, तो उसके साथ फिल्म करने का क्या मतलब है?' सैंड्रा थॉमस ने बनाई हैं मॉलीवुड की ये फिल्‍मेंसैंड्रा थॉमस ने एक्‍टर और फिल्‍ममेकर विजय बाबू के साथ 'फ्राइडे फिल्म हाउस' की शुरुआत की थी। हालांकि, 2017 में वह इस फर्म से अलग हो गईं। बाद में उन्होंने 'सैंड्रा थॉमस प्रोडक्शंस' की स्थापना की और अपने बैनर तले 'नल्ला नीलावुल्ला राथ्री' (2023) फ‍िल्‍म बनाई। जबकि इससे पहले विजय बाबू के साथ मिलकर वह 'फ्राइडे' (2012), 'जचरियायुडे गर्भिनिकल' (2013), 'फिलिप्स एंड द मंकी पेन' (2013), 'पेरुचाझी' (2014), 'आडू' (2015) और 'आदि कप्यारे कूटमणि' (2015) जैसी फिल्में बना चुकी हैं।
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