रायपुर: छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सलियों ने एक अस्थायी शिक्षक की हत्या कर दी थी। हत्या बुधवार की शाम की गई है। नक्सलियों ने उसके घर के बाहर हत्या की है। पिछले साल सितंबर से अब तक पांच अस्थायी शिक्षकों की हत्या हो चुकी है। राज्य में उन्हें शिक्षादूत के नाम से जाना जाता है। यह घटना सुकमा जिले के सिलगेर में हुई। यह जगह पुलिस कैंप से सिर्फ तीन किलोमीटर दूर है।
घर से निकालकर हत्या
दरअसल, बुधवार की शाम करीब सात बजे 20 नक्सली लक्ष्मण बरसे के घर पहुंचे। उन्हें घर से बाहर निकाला। एक ग्रामीण ने बताया कि नक्सलियों ने लक्ष्मण को लाठियों और कुल्हाड़ी से मारा है। पत्नी ने रोकने की कोशिश की तो नक्सलियों ने बाल पकड़कर दूर हटा दिया। हत्या से पहले कोई धमकी नहीं दी थी, न ही कोई जन अदालत लगाई।
छह महीने पहले भाई की हत्या
वहीं, छह महीने पहले माओवादियों ने लक्ष्मण के भाई की भी हत्या कर दी थी। उन्हें शक था कि वह पेगड़ापल्ली गांव में मुखबिर है। लक्ष्मण 12वीं तक पढ़ा था। वह 10-12 साल से सिलगेर में अस्थायी शिक्षक था। वह सरकार से शिक्षादूतों को नियमित करने के लिए कह रहा था। गांव के एक व्यक्ति ने बताया कि लक्ष्मण ने हाल ही में उससे कहा था कि माओवादियों ने शिक्षकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है और उसे डर है कि वे उस पर भी हमला कर सकते हैं।
पुलिस की मुखबिरी कर रहा
अधिकारियों के अनुसार, माओवादियों को शक था कि लक्ष्मण सिलगेर पुलिस कैंप को जानकारी दे रहा था। लक्ष्मण अपने पीछे पत्नी और दो बच्चों को छोड़ गया है। एक बच्चा तीन साल का है और दूसरा छह महीने का है। राज्य सरकार ने बस्तर के दूरदराज के गांवों में शिक्षादूत पहल शुरू की थी। वहां शिक्षकों की भर्ती करना मुश्किल हो रहा था। HSC (हायर सेकेंडरी सर्टिफिकेट) पास करने वाला कोई भी ग्रामीण शिक्षक के रूप में काम कर सकता है। उसे हर महीने 12,000 रुपए मिलते हैं।
वहीं, 14 जुलाई को दो शिक्षादूतों को नक्सलियों ने पड़ोसी बीजापुर जिले के फरसेगढ़ इलाके में मार डाला था। उन्हें शक था कि वे पुलिस के मुखबिर हैं। 19 फरवरी को दंतेवाड़ा जिले में दो लोगों की हत्या कर दी गई थी। इनमें एक शिक्षादूत भी शामिल था। सितंबर में डोडी अर्जुन नाम के एक शिक्षादूत को सुकमा के गोंडपल्ली गांव में पीटा और गला घोंट दिया गया था।
घर से निकालकर हत्या
दरअसल, बुधवार की शाम करीब सात बजे 20 नक्सली लक्ष्मण बरसे के घर पहुंचे। उन्हें घर से बाहर निकाला। एक ग्रामीण ने बताया कि नक्सलियों ने लक्ष्मण को लाठियों और कुल्हाड़ी से मारा है। पत्नी ने रोकने की कोशिश की तो नक्सलियों ने बाल पकड़कर दूर हटा दिया। हत्या से पहले कोई धमकी नहीं दी थी, न ही कोई जन अदालत लगाई।
छह महीने पहले भाई की हत्या
वहीं, छह महीने पहले माओवादियों ने लक्ष्मण के भाई की भी हत्या कर दी थी। उन्हें शक था कि वह पेगड़ापल्ली गांव में मुखबिर है। लक्ष्मण 12वीं तक पढ़ा था। वह 10-12 साल से सिलगेर में अस्थायी शिक्षक था। वह सरकार से शिक्षादूतों को नियमित करने के लिए कह रहा था। गांव के एक व्यक्ति ने बताया कि लक्ष्मण ने हाल ही में उससे कहा था कि माओवादियों ने शिक्षकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है और उसे डर है कि वे उस पर भी हमला कर सकते हैं।
पुलिस की मुखबिरी कर रहा
अधिकारियों के अनुसार, माओवादियों को शक था कि लक्ष्मण सिलगेर पुलिस कैंप को जानकारी दे रहा था। लक्ष्मण अपने पीछे पत्नी और दो बच्चों को छोड़ गया है। एक बच्चा तीन साल का है और दूसरा छह महीने का है। राज्य सरकार ने बस्तर के दूरदराज के गांवों में शिक्षादूत पहल शुरू की थी। वहां शिक्षकों की भर्ती करना मुश्किल हो रहा था। HSC (हायर सेकेंडरी सर्टिफिकेट) पास करने वाला कोई भी ग्रामीण शिक्षक के रूप में काम कर सकता है। उसे हर महीने 12,000 रुपए मिलते हैं।
वहीं, 14 जुलाई को दो शिक्षादूतों को नक्सलियों ने पड़ोसी बीजापुर जिले के फरसेगढ़ इलाके में मार डाला था। उन्हें शक था कि वे पुलिस के मुखबिर हैं। 19 फरवरी को दंतेवाड़ा जिले में दो लोगों की हत्या कर दी गई थी। इनमें एक शिक्षादूत भी शामिल था। सितंबर में डोडी अर्जुन नाम के एक शिक्षादूत को सुकमा के गोंडपल्ली गांव में पीटा और गला घोंट दिया गया था।
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