दुमकाः झारखंड के दुमका जिले के सदर प्रखंड के कोदोखिचा गांव की कई महिला किसान करेला की खेती कर समाज में मिसाल पेश कर रहीं हैं। सूरजमुखी आजीविका सखी मंडल नाम की एक स्वयं सेवी संस्था के सहयोग से इस गांव की आदिवासी महिला किसान पूजा सोरेन अपनी मेहनत से आधुनिक खेती में नई पहचान बनाकर सफलता की नई इबारत लिख रही हैं।
सफलता का परचम लहराने की दिशा में अग्रसर सखी मंडल की सक्रिय सदस्य पूजा की माने तो प्रशिक्षण और तकनीकी मार्गदर्शन प्राप्त कर वह सूक्ष्म टपक सिंचाई पद्धति से उसने करेले की व्यावसायिक खेती शुरू की।
पारंपरिक खेती में सीमित आमदनी
पहले वह पारंपरिक खेती पर निर्भर थीं, जिससे सीमित आमदनी होतीथी। परन्तु सखी मंडल के माध्यम से प्राप्त जानकारी और प्रोत्साहन ने उनकी राह बदल दी। टपक सिंचाई से पौधों को समय पर नमी और पोषण मिलने लगा। इससे कम पानी में अधिक उत्पादन संभव हुआ। साथ ही, मंडल के सहयोग से पूजा बाजार से सीधे जुड़ गयीं और मध्यस्थों पर निर्भरता मुक्त होकर कम लागत और कम समय में अधिक उत्पादन कर आत्मनिर्भर बन गयी है।
हर दो दिन में एक क्विंटल तक करेला का उत्पादन
पूजा की माने तो आज वह हर दो दिन में करीब 80 किलो से एक क्विंटल तक करेले की तुड़ाई कर रही हैं, जिसे 35 से 40 रुपये प्रति किलो के भाव से बेच रही हैं। लगातार उत्पादन और अच्छे दामों से उनकी आमदनी लाखों रुपये तक पहुंच गई है। उनकी इस उपलब्धि से प्रेरित होकर सखी मंडल की अन्य दीदियां भी आधुनिक सिंचाई और वैज्ञानिक तरीके से करेला की खेती अपना रही हैं। पूजा सोरेन अब न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणा की स्रोत बन गई हैं।
सफलता का परचम लहराने की दिशा में अग्रसर सखी मंडल की सक्रिय सदस्य पूजा की माने तो प्रशिक्षण और तकनीकी मार्गदर्शन प्राप्त कर वह सूक्ष्म टपक सिंचाई पद्धति से उसने करेले की व्यावसायिक खेती शुरू की।
पारंपरिक खेती में सीमित आमदनी
पहले वह पारंपरिक खेती पर निर्भर थीं, जिससे सीमित आमदनी होतीथी। परन्तु सखी मंडल के माध्यम से प्राप्त जानकारी और प्रोत्साहन ने उनकी राह बदल दी। टपक सिंचाई से पौधों को समय पर नमी और पोषण मिलने लगा। इससे कम पानी में अधिक उत्पादन संभव हुआ। साथ ही, मंडल के सहयोग से पूजा बाजार से सीधे जुड़ गयीं और मध्यस्थों पर निर्भरता मुक्त होकर कम लागत और कम समय में अधिक उत्पादन कर आत्मनिर्भर बन गयी है।
हर दो दिन में एक क्विंटल तक करेला का उत्पादन
पूजा की माने तो आज वह हर दो दिन में करीब 80 किलो से एक क्विंटल तक करेले की तुड़ाई कर रही हैं, जिसे 35 से 40 रुपये प्रति किलो के भाव से बेच रही हैं। लगातार उत्पादन और अच्छे दामों से उनकी आमदनी लाखों रुपये तक पहुंच गई है। उनकी इस उपलब्धि से प्रेरित होकर सखी मंडल की अन्य दीदियां भी आधुनिक सिंचाई और वैज्ञानिक तरीके से करेला की खेती अपना रही हैं। पूजा सोरेन अब न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणा की स्रोत बन गई हैं।
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