नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला और AIMIM के अध्यक्ष सांसद असदुद्दीन ओवैसी द्वारा बिहार की वोटर लिस्ट से काटे गए 65 लाख वोटरों के नाम पर आयोग पर सोशल मीडिया एक्स पर निशाना साधने वाले मामले में पलटवार किया है। आयोग के सूत्रों ने कहा है कि हंगामा और हल्ला किस बात का? अगर आपको लगता है कि बिहार की वोटर लिस्ट से किसी जेनवन वोटर के नाम काटे गए हैं तो उन्हें इसके बारे में आयोग को बताकर जांच करानी चाहिए।
लेकिन, विडंबना इस बात की है कि बिहार की वोटर लिस्ट का एक अगस्त को ड्राफ्ट पब्लिकेशन होने के छह दिन बाद छह अगस्त तक एक भी राजनीतिक पार्टी या इनके किसी नेता की तरफ से चुनाव आयोग को एक भी जेनवन वोटर का वोट काटे जाने की कोई शिकायत आयोग से या संबंधित किसी अधिकारी से नहीं की गई है।
राजनीतिक पार्टियों से साझा की गई जानकारी
चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसका मतलब क्या समझा जाए? अधिकारी का कहना है कि बिहार की वोटर लिस्ट से काटे गए 65 लाख वोटरों की डिटेल तमाम राजनीतिक पार्टियों से भी साझा की गई है। बिहार के सभी लोगों और राजनीतिक पार्टियों से भी कहा जा रहा है कि वह एक अगस्त से एक सितंबर तक वोटर लिस्ट में जोड़े गए या काटे गए किसी भी वोटर के नाम पर कोई दावा या आपत्ति दर्ज कर सकते हैं।
नाम कटने पर आयोग में दर्ज करा सकते हैं शिकायत
अगर किसी को लगता है कि उसका नाम वोटर लिस्ट से काट दिया गया या फिर किसी गलत शख्स का नाम वोटर लिस्ट में जोड़ दिया गया तो वह इसके लिए अपनी शिकायत आयोग से दर्ज करा सकते हैं। आयोग के सूत्रों का कहना है कि बुधवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला और सांसद ओवैसी ने एक्स पर बिहार की वोटर लिस्ट से लाखों लोगों के नाम काटे जाने पर आयोग के उपर आरोप लगाए। इसमें सुरजेवाला की तरफ से बिहार मे इलेक्टोरल रोल रिवीजन की पूरी प्रक्रिया धोखाधड़ी और वोट चोरी करने का तरीका बताते हुए आरोप लगाया गया। यह भी लिखा गया कि आयोग द्वारा 65 लाख बिहार के मतदाताओं का वोट काट देना सीधे सीधे चुनावी प्रजातंत्र पर हमला है। फर्जीवाड़ा अब जगजाहिर है। जिसके लिए कांग्रेस और राहुल गांधी लड़ रहे हैं।
आयोग के खिलाफ क्या बोले थे ओवैसी?
जबकि सांसद ओवैसी द्वारा आयोग पर 56 लाख लोगों के नाम काट देने का आरोप लगाते हुए यह भी आरोप लगाया गया कि सबसे अधिक नाम उन जिलों से कटे हैं। जहां मुसलमानों की आबादी अधिक है और जहां के लोग रोजगार की तलाश में मजबूरी में देश के दूसरे हिस्सों में पलायन करते हैं। दोनों नेताओं के एक्स पर आयोग पर लगाए गए आरोपों से भड़के चुनाव आयोग के सूत्रों ने दोनों नेताओं से कहा है कि अगर उनके पास किसी जेनवन वोटर द्वारा उसका वोट काटे जाने की जानकारी है तो उन्हें इसकी जानकारी आयोग को देते हुए इसकी जांच करानी चाहिए। तभी सचाई सामने आ सकेगी।
आयोग ने बताया है कि वोटर लिस्ट से जिन 65 लाख वोटरों के नाम काटे गए हैं। इनमें 22 लाख की मौत हो चुकी है, 36 लाख स्थायी रूप से बिहार से बाहर शिफ्ट हो चुके हैं या फिर इनका कुछ अता-पता नहीं है और सात लाख वोटरों ने एक से अधिक वोटर कार्ड बनवा रखे हैं। अगर इसमें किसी को कोई प्रॉब्लम है तो वह कम से कम आयोग को बताए तो सही।
लेकिन, विडंबना इस बात की है कि बिहार की वोटर लिस्ट का एक अगस्त को ड्राफ्ट पब्लिकेशन होने के छह दिन बाद छह अगस्त तक एक भी राजनीतिक पार्टी या इनके किसी नेता की तरफ से चुनाव आयोग को एक भी जेनवन वोटर का वोट काटे जाने की कोई शिकायत आयोग से या संबंधित किसी अधिकारी से नहीं की गई है।
राजनीतिक पार्टियों से साझा की गई जानकारी
चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसका मतलब क्या समझा जाए? अधिकारी का कहना है कि बिहार की वोटर लिस्ट से काटे गए 65 लाख वोटरों की डिटेल तमाम राजनीतिक पार्टियों से भी साझा की गई है। बिहार के सभी लोगों और राजनीतिक पार्टियों से भी कहा जा रहा है कि वह एक अगस्त से एक सितंबर तक वोटर लिस्ट में जोड़े गए या काटे गए किसी भी वोटर के नाम पर कोई दावा या आपत्ति दर्ज कर सकते हैं।
नाम कटने पर आयोग में दर्ज करा सकते हैं शिकायत
अगर किसी को लगता है कि उसका नाम वोटर लिस्ट से काट दिया गया या फिर किसी गलत शख्स का नाम वोटर लिस्ट में जोड़ दिया गया तो वह इसके लिए अपनी शिकायत आयोग से दर्ज करा सकते हैं। आयोग के सूत्रों का कहना है कि बुधवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला और सांसद ओवैसी ने एक्स पर बिहार की वोटर लिस्ट से लाखों लोगों के नाम काटे जाने पर आयोग के उपर आरोप लगाए। इसमें सुरजेवाला की तरफ से बिहार मे इलेक्टोरल रोल रिवीजन की पूरी प्रक्रिया धोखाधड़ी और वोट चोरी करने का तरीका बताते हुए आरोप लगाया गया। यह भी लिखा गया कि आयोग द्वारा 65 लाख बिहार के मतदाताओं का वोट काट देना सीधे सीधे चुनावी प्रजातंत्र पर हमला है। फर्जीवाड़ा अब जगजाहिर है। जिसके लिए कांग्रेस और राहुल गांधी लड़ रहे हैं।
आयोग के खिलाफ क्या बोले थे ओवैसी?
जबकि सांसद ओवैसी द्वारा आयोग पर 56 लाख लोगों के नाम काट देने का आरोप लगाते हुए यह भी आरोप लगाया गया कि सबसे अधिक नाम उन जिलों से कटे हैं। जहां मुसलमानों की आबादी अधिक है और जहां के लोग रोजगार की तलाश में मजबूरी में देश के दूसरे हिस्सों में पलायन करते हैं। दोनों नेताओं के एक्स पर आयोग पर लगाए गए आरोपों से भड़के चुनाव आयोग के सूत्रों ने दोनों नेताओं से कहा है कि अगर उनके पास किसी जेनवन वोटर द्वारा उसका वोट काटे जाने की जानकारी है तो उन्हें इसकी जानकारी आयोग को देते हुए इसकी जांच करानी चाहिए। तभी सचाई सामने आ सकेगी।
आयोग ने बताया है कि वोटर लिस्ट से जिन 65 लाख वोटरों के नाम काटे गए हैं। इनमें 22 लाख की मौत हो चुकी है, 36 लाख स्थायी रूप से बिहार से बाहर शिफ्ट हो चुके हैं या फिर इनका कुछ अता-पता नहीं है और सात लाख वोटरों ने एक से अधिक वोटर कार्ड बनवा रखे हैं। अगर इसमें किसी को कोई प्रॉब्लम है तो वह कम से कम आयोग को बताए तो सही।
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