नई दिल्ली/पटना: बिहार में गुरुवार को हुए पहले चरण के मतदान में वोटरों ने 64.66 फीसदी मतदान कर पिछले तमाम रिकॉर्ड तोड़ डाले। इतिहास बनाने वाले इस मतदान ने बिहार में ना केवल 1952 से 2020 तक हुए विधानसभा चुनावों में बल्कि 1951-52 से 2024 तक हुए लोकसभा के सभी चुनावों से भी अधिक वोट डाले। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने इसे ऐतिहासिक मतदान बताया। इससे पहले कभी भी बिहार में आम चुनावों और विधानसभा चुनावों में वोटरों ने इतना अधिक मतदान नहीं किया। इसी के साथ ही पहले चरण के लिए चुनाव में खड़े बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव समेत चुनाव में खड़े 1314 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई।
अब तक का सबसे ऊंचा मतदान
चुनाव आयोग ने बताया कि बिहार में छह नवंबर को पहले चरण के हुए चुनाव में 64.66 फीसदी मतदान हुआ। अभी इस आंकड़े में और बढ़ोतरी हो सकती है। जबकि बिहार में इससे पहले 1951-52 से 2020 तक सबसे अधिक 2000 के विधानसभा चुनाव में 62.57 फीसदी वोट पड़े थे। जबकि 1951-52 से 2024 तक हुए लोकसभा चुनाव में बिहार में सबसे अधिक 1998 में 64.60 फीसदी मतदान हुआ था। जो कि इस बार बिहार में पहले चरण के हुए मतदान ने इसे भी पछाड़ दिया।
अब तक सिर्फ तीन बार पार हुआ 60% का आंकड़ा
बिहार में विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो 1951-52 से 2020 तक केवल तीन बार ही 60 फीसदी से अधिक मतदान हुआ था। इसमें 1990 में 62.04, 1995 में 61.79 और अब से पहले सबसे अधिक रिकॉर्ड 2020 में 62.57 वोट पड़े थे। सबसे कम 42.60 फीसदी भी 1951-52 में ही वोट पड़े थे। चुनाव आयोग ने बताया कि पहले चरण में बिहार की 243 विधानसभा सीटों में 18 जिलों की 121 सीटों पर शांतिपूर्ण मतदान हुआ। कहीं से कोई बड़ी घटना की खबर नहीं आई। पहले चरण में तीन करोड़ 75 लाख वोटर थे।
शांतिपूर्ण रहा मतदान, निगरानी में रहा पूरा प्रदेश
चुनावी प्रक्रिया पर कड़ी नजर रखने के लिए पूरे दिन दिल्ली से मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के साथ चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी ने लाइव-वेबकास्टिंग के माध्यम से मतदान पर कड़ी निगरानी रखी। बिहार में पहली बार 100 फीसदी मतदान केंद्रों पर लाइव वेबकास्टिंग सुनिश्चित की गई थी।
बिहार में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय चुनाव आगंतुक कार्यक्रम (IEVP) के हिस्से के रूप में, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, बेल्जियम और कोलंबिया सहित 6 देशों के 16 प्रतिनिधि भी चुनाव कार्रवाई देखने आए थे। पहले चरण के चुनाव के लिए 4 लाख से अधिक मतदान संबंधी कर्मचारी बुधवार रात 11.20 बजे तक संबंधित मतदान केंद्रों पर पहुंच गए थे। 1,314 चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों द्वारा नियुक्त 67,902 से अधिक मतदान एजेंटों की उपस्थिति में गुरुवार सुबह 7 बजे से पहले मॉक पोल पूरे कर लिए गए और सभी 45,341 मतदान केंद्रों पर शांतिपूर्ण ढंग से मतदान शुरू हो गया। बुर्का और पर्दा नशीन महिलाओं की पहचान के लिए सभी मतदान केंद्रों पर एक CAPF कर्मियों के साथ 90,000 से अधिक जीविका दीदी और महिला स्वयंसेवकों को तैनात किया गया था।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस-राजद के शासनकाल में बिहार जिस तरह से 'जंगलराज' और माफिया राज की भेंट चढ़ गया था, राज्य की जनता अभी उसको भूली नहीं है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार ने विकास की सीढ़ियां चढ़ी हैं। इसलिए हम मतदाताओं से एनडीए के पक्ष में वोट डालने की अपील करते हैं।
रिकॉर्ड तोड़ मतदान के पीछे SIRबिहार में रिकॉर्ड तोड़ हुए मतदान के पीछे सूत्र एक वजह एसआईआर के असर को भी मान रहे हैं। जिसमें करीब 70 लाख मृत, फर्जी, डुप्लिकेट, लापता और बिहार से दूसरे राज्यों में परमानेंट शिफ्ट हुए तमाम वोटरों के नाम हटाना भी मान रहे हैं। जानकारों का कहना है कि पहले चरण में तो रिकॉर्ड बन गया। लेकिन यह रिकॉर्ड तभी स्थायी रूप से अपनी जगह ले सकेगा। जब दूसरे चरण में भी इसी तरह से रिकॉर्डतोड़ मतदान होगा। अगर दूसरे चरण में वोट कम पड़े तो यह आंकड़ा गड़बड़ा जाएगा।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 1951 के बाद से ऐतिहासिक मतदान के लिए मतदाताओं को बधाई दी। उन्होंने भारत निर्वाचन आयोग में पूर्ण विश्वास व्यक्त करने और इतनी बड़ी संख्या में उत्साह और जोश के साथ मतदान करने के लिए मतदाताओं का आभार व्यक्त किया। उन्होंने पूरी पारदर्शिता और समर्पण के साथ काम करने के लिए पूरी चुनाव मशीनरी को भी धन्यवाद दिया।
अब तक का सबसे ऊंचा मतदान
चुनाव आयोग ने बताया कि बिहार में छह नवंबर को पहले चरण के हुए चुनाव में 64.66 फीसदी मतदान हुआ। अभी इस आंकड़े में और बढ़ोतरी हो सकती है। जबकि बिहार में इससे पहले 1951-52 से 2020 तक सबसे अधिक 2000 के विधानसभा चुनाव में 62.57 फीसदी वोट पड़े थे। जबकि 1951-52 से 2024 तक हुए लोकसभा चुनाव में बिहार में सबसे अधिक 1998 में 64.60 फीसदी मतदान हुआ था। जो कि इस बार बिहार में पहले चरण के हुए मतदान ने इसे भी पछाड़ दिया।
अब तक सिर्फ तीन बार पार हुआ 60% का आंकड़ा
बिहार में विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो 1951-52 से 2020 तक केवल तीन बार ही 60 फीसदी से अधिक मतदान हुआ था। इसमें 1990 में 62.04, 1995 में 61.79 और अब से पहले सबसे अधिक रिकॉर्ड 2020 में 62.57 वोट पड़े थे। सबसे कम 42.60 फीसदी भी 1951-52 में ही वोट पड़े थे। चुनाव आयोग ने बताया कि पहले चरण में बिहार की 243 विधानसभा सीटों में 18 जिलों की 121 सीटों पर शांतिपूर्ण मतदान हुआ। कहीं से कोई बड़ी घटना की खबर नहीं आई। पहले चरण में तीन करोड़ 75 लाख वोटर थे।
शांतिपूर्ण रहा मतदान, निगरानी में रहा पूरा प्रदेश
चुनावी प्रक्रिया पर कड़ी नजर रखने के लिए पूरे दिन दिल्ली से मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के साथ चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी ने लाइव-वेबकास्टिंग के माध्यम से मतदान पर कड़ी निगरानी रखी। बिहार में पहली बार 100 फीसदी मतदान केंद्रों पर लाइव वेबकास्टिंग सुनिश्चित की गई थी।
बिहार में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय चुनाव आगंतुक कार्यक्रम (IEVP) के हिस्से के रूप में, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, बेल्जियम और कोलंबिया सहित 6 देशों के 16 प्रतिनिधि भी चुनाव कार्रवाई देखने आए थे। पहले चरण के चुनाव के लिए 4 लाख से अधिक मतदान संबंधी कर्मचारी बुधवार रात 11.20 बजे तक संबंधित मतदान केंद्रों पर पहुंच गए थे। 1,314 चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों द्वारा नियुक्त 67,902 से अधिक मतदान एजेंटों की उपस्थिति में गुरुवार सुबह 7 बजे से पहले मॉक पोल पूरे कर लिए गए और सभी 45,341 मतदान केंद्रों पर शांतिपूर्ण ढंग से मतदान शुरू हो गया। बुर्का और पर्दा नशीन महिलाओं की पहचान के लिए सभी मतदान केंद्रों पर एक CAPF कर्मियों के साथ 90,000 से अधिक जीविका दीदी और महिला स्वयंसेवकों को तैनात किया गया था।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस-राजद के शासनकाल में बिहार जिस तरह से 'जंगलराज' और माफिया राज की भेंट चढ़ गया था, राज्य की जनता अभी उसको भूली नहीं है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार ने विकास की सीढ़ियां चढ़ी हैं। इसलिए हम मतदाताओं से एनडीए के पक्ष में वोट डालने की अपील करते हैं।
रिकॉर्ड तोड़ मतदान के पीछे SIRबिहार में रिकॉर्ड तोड़ हुए मतदान के पीछे सूत्र एक वजह एसआईआर के असर को भी मान रहे हैं। जिसमें करीब 70 लाख मृत, फर्जी, डुप्लिकेट, लापता और बिहार से दूसरे राज्यों में परमानेंट शिफ्ट हुए तमाम वोटरों के नाम हटाना भी मान रहे हैं। जानकारों का कहना है कि पहले चरण में तो रिकॉर्ड बन गया। लेकिन यह रिकॉर्ड तभी स्थायी रूप से अपनी जगह ले सकेगा। जब दूसरे चरण में भी इसी तरह से रिकॉर्डतोड़ मतदान होगा। अगर दूसरे चरण में वोट कम पड़े तो यह आंकड़ा गड़बड़ा जाएगा।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 1951 के बाद से ऐतिहासिक मतदान के लिए मतदाताओं को बधाई दी। उन्होंने भारत निर्वाचन आयोग में पूर्ण विश्वास व्यक्त करने और इतनी बड़ी संख्या में उत्साह और जोश के साथ मतदान करने के लिए मतदाताओं का आभार व्यक्त किया। उन्होंने पूरी पारदर्शिता और समर्पण के साथ काम करने के लिए पूरी चुनाव मशीनरी को भी धन्यवाद दिया।
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