Vaishakh Amavasya ke Upay : वैशाख अमावस्या भगवान विष्णु के अतिप्रिय माह वैशाख के कृष्ण पक्ष में आती है। वैशाख अमावस्या को लेकर स्कंद पुराण के वैशाख माह महात्म्य में नारदजी ने राजा अंबरीष से कहा है कि यह अति शुभ करने वाली और अति पुण्य देने वाली अमावस्या है। इसके समान लोक में कोई दूसरी तिथि न देखी गई है और न सुनी गई है। ऐसे में वैशाख अमावस्या पर दान-पुण्य का विशेष महत्व है। आइये जानते हैं वैशाख अमावस्या के दान और उसका महत्व। वैशाख अमावस्या कब है?पंचांग के अनुसार, वैशाख अमावस्या तिथि 27 अप्रैल को सुबह 4.49 बजे शुरू होगी और देर रात 1 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के चलते वैशाख अमावस्या 27 अप्रैल को मान्य होगी। इस दिन स्नान आदि के बाद पितरों की पूजा, उनके निमित्त दान और पुण्य कर्म करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। वैशाख अमावस्या का महत्ववैशाख अमावस्या के महत्व को लेकर वैशाख मास महात्म्य के 22वें अध्याय में नारदजी ने राजा अंबरीष को बताया है कि वैशाख मास माधव यानी भगवान विष्णु का महीना है। वैसे तो इस मास की सभी तिथियां पुण्य प्रदान करने वाली हैं। प्रत्येक तिथि में किए गए पुण्य का करोड़ों गुना फल होता है। अमावस्या मुक्ति देने वाली तिथि है। यह देवताओं को अति प्रिय है और तुरंत मुक्ति देने वाली है। वैशाख अमावस्या के दानपितरों के निमित्त जो वैशाख अमावस्या के दिन श्राद्ध करते हैं, जल से भरा घड़ा और पिण्ड दान करते हैं। उनको अक्षय फल मिलता है। साथ ही वैशाख अमावस्या के दिन पूरी श्रद्धा के साथ जो श्राद्ध करता है। उसके पितरों को शांति मिलती है। अमावस्या पर गया में श्राद्ध करने का भी महत्व है। वहीं जो मधुमास की अमावस्या को दान नहीं देता है वो पितृघाती होता है। वहीं जो वैशाख अमावस्या पर ककड़ी का दान देता है। और कुल के हित के लिए भक्ति पूर्वक श्राद्ध करता है तो उसके पितरों के लिए पितर लोक में अमृत वाली नदी बहती है। वैशाख अमावस्या पर घड़े का दान करने वाले के पितरों को पितृ लोक में शांति मिलती है। पितर आपसे प्रसन्न होते हैं। वे आपको सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। इसलिए वैशाख अमावस्या पर घड़े, ककड़ी, अन्न, पंखे और फल का दान जरूर करना चाहिए।
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