सीतामढ़ीः बिहार में सीतामढ़ी जिले के बेलसंड विधानसभा क्षेत्र की भी अलग पहचान है। यह क्षेत्र भी हमेशा से काफी अहम रहा है। यहां से खड़ा होने वाले प्रत्याशियों के चलते इस विधान सभा का चुनाव रोचकता से भरा होता था। चुनावी जंग तब और रोचक होती थी, जब रघुवंश बाबू और रामानंद बाबू आमने-सामने होते थे। दोनों के बीच दो बार चुनावों में सामना हुआ था। हालांकि दोनों बार रामानंद बाबू शिकस्त खा गये थे। ये वही रामानंद बाबू है, जो कभी सूबे के कानून मंत्री बने थे। रघुवंश बाबू को तो सभी जानते ही है, जो केंद्रीय मंत्री की कुर्सी तक पहुंचे।
1957 से 85 तक राजनीति में सक्रिय
बेलसंड प्रखंड में संभ्रांत परिवार में जन्मे रामानंद सिंह बेलसंड ओर बिहार की राजनीति में 1957 से 85 तक सक्रिय रहे थे। बेलसंड विस का पहला चुनाव जीतने का रिकॉर्ड रामानंद बाबू के ही नाम है। पहला चुनाव वर्ष 1957 में हुआ था। तब वे प्रजातांत्रिक सोशलिस्ट पार्टी से चुनाव मैदान में थे। उस चुनाव में 68220 में से 30771 वोटर वोटिंग में हिस्सा लिए थे। 45 फीसदी मतदान हुआ था। उसी पार्टी के टिकट पर रामानंद बाबू 62 का चुनाव भी जीते थे। दोनों बार यमुना प्रसाद को पराजित किए थे। तीसरा चुनाव वर्ष 1967 में हुआ था, जिसमें कांग्रेस के सीपी सिंह जीते थे और रामानंद बाबू हार गए थे। हालांकि रामानंद बाबू ने इस हार का बदला अगले चुनाव में (1969) में सीपी सिंह से चुकता कर लिया था। इसी चुनाव में सबसे अधिक 64 फीसदी मतदान हुआ था, जो एक रिकार्ड ही है।
1977 में रघुवंश प्रसाद सिंह का पदार्पण
वर्ष 1972 के चुनाव में कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बदल दिया, जिसका पार्टी को लाभ भी मिला। कांग्रेस प्रत्याशी थे रामसूरत सिंह और सामने थे रामानंद बाबू। इस चुनाव का परिणाम कांग्रेस के पक्ष में गया था। 1977 में बेलसंड विस की राजनीति में डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह का पदार्पण हुआ। बेहतर वक्ता, विद्वान, मृदुभाषी और उत्तर बिहार के चर्चित कॉलेजों में शुमार सीतामढ़ी के गोयनका कॉलेज के गणित के प्रोफेसर होने के नाते कम ही समय में उक्त विधानसभा क्षेत्र में उनकी एक पहचान बन गईं। उन्होंने बेलसंड विस क्षेत्र में इस तरह पैर जमाया कि वर्षों तक उनके सामने कोई नही टिका।
कानून मंत्री बने थे रामानंद सिंह
रघुवंश बाबू ने ही वर्ष 77 और 85 में लगातार दो बार हराकर रामानंद बाबू के जीत पर ब्रेक लगा दिया था। उसके बाद रामानंद बाबू चुनाव मैदान में उतरे ही नही। 85 के चुनाव में तो वे (रामानंद सिंह) 4216 वोट के साथ पांचवें स्थान पर रहे थे। नयी पीढ़ी को शायद ही यह मालूम होगा कि रामानंद बाबू कभी सूबे के कानून मंत्री भी थे। उनके दो पुत्र हुए। एक राधेश्याम सिंह, जो सिविल कोर्ट में वरीय अधिवक्ता थे और दूसरे डॉ ओम प्रकाश सिंह, जो चिकित्सक थे। दोनों भाइयों का निधन हो चुका है।
2010 में हार का बदला किया था चुकता
2010 के चुनाव में सुनीता ने जीत कर संजय से हार का बदला चुकता कर ली थी। दोनों को क्रमशः 19580 और 18559 वोट मिले थे। 2015 में एक बार फिर सुनीता सिंह चौहान जीती। इस चुनाव में उन्होंने लोजपा के मो. नसीर को पराजित की थी। गौरतलब है कि संजय गुप्ता मूल रूप से शिवहर जिला के निवासी है। उनके पिता सत्यनारायण प्रसाद शिवहर विधानसभा क्षेत्र से एक बार विधायक चुने गए थे।
बेलसंड विधानसभा चुनाव परिणाम 2010
बेलसंड विधानसभा चुनाव परिणाम 2015
बेलसंड विधानसभा चुनाव परिणाम 2020
जीत की हैट्रिक बनाने से चूक गई सुनीता
बेलसंड विस से जदयू प्रत्याशी सुनीता सिंह चौहान जीत की हैट्रिक बनाने से चूक गई है। वह 2010 और 2015 में लगातार दो बार चुनाव जीतकर 2020 के चुनाव में जीत की हैट्रिक बनाने के लिए चुनाव मैदान में उतरी थी, लेकिन सफल नहीं हो सकी है। विभिन्न कारणों से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
फिलहाल राजद के कब्जे में है बेलसंड विस
फिलहाल बेलसंड विधानसभा क्षेत्र राजद विधायक संजय कुमार गुप्ता के कब्जे में है। यानी वर्ष 2020 के विस चुनाव में गुप्ता जीते थे। यह उनकी दूसरी जीत थी, तो एक बार उन्हें हार का भी सामना करना पड़ा था। 2020 में गुप्ता 13685 मतों के अंतर से जीते थे। बेलसंड से गुप्ता पहली बार नवंबर - 2005 के चुनाव में खड़ा थे। उन्हें 30899 वोट मिला था और वे 1383 वोट से जीते थे। उन्होंने जदयू प्रत्याशी सुनीता सिंह चौहान को पराजित किया था।
वर्ष 1952 से लेकर 2020 के चुनाव में बेलसंड सीट से विजयी उम्मीदवार
1957 से 85 तक राजनीति में सक्रिय
बेलसंड प्रखंड में संभ्रांत परिवार में जन्मे रामानंद सिंह बेलसंड ओर बिहार की राजनीति में 1957 से 85 तक सक्रिय रहे थे। बेलसंड विस का पहला चुनाव जीतने का रिकॉर्ड रामानंद बाबू के ही नाम है। पहला चुनाव वर्ष 1957 में हुआ था। तब वे प्रजातांत्रिक सोशलिस्ट पार्टी से चुनाव मैदान में थे। उस चुनाव में 68220 में से 30771 वोटर वोटिंग में हिस्सा लिए थे। 45 फीसदी मतदान हुआ था। उसी पार्टी के टिकट पर रामानंद बाबू 62 का चुनाव भी जीते थे। दोनों बार यमुना प्रसाद को पराजित किए थे। तीसरा चुनाव वर्ष 1967 में हुआ था, जिसमें कांग्रेस के सीपी सिंह जीते थे और रामानंद बाबू हार गए थे। हालांकि रामानंद बाबू ने इस हार का बदला अगले चुनाव में (1969) में सीपी सिंह से चुकता कर लिया था। इसी चुनाव में सबसे अधिक 64 फीसदी मतदान हुआ था, जो एक रिकार्ड ही है।
1977 में रघुवंश प्रसाद सिंह का पदार्पण
वर्ष 1972 के चुनाव में कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बदल दिया, जिसका पार्टी को लाभ भी मिला। कांग्रेस प्रत्याशी थे रामसूरत सिंह और सामने थे रामानंद बाबू। इस चुनाव का परिणाम कांग्रेस के पक्ष में गया था। 1977 में बेलसंड विस की राजनीति में डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह का पदार्पण हुआ। बेहतर वक्ता, विद्वान, मृदुभाषी और उत्तर बिहार के चर्चित कॉलेजों में शुमार सीतामढ़ी के गोयनका कॉलेज के गणित के प्रोफेसर होने के नाते कम ही समय में उक्त विधानसभा क्षेत्र में उनकी एक पहचान बन गईं। उन्होंने बेलसंड विस क्षेत्र में इस तरह पैर जमाया कि वर्षों तक उनके सामने कोई नही टिका।
कानून मंत्री बने थे रामानंद सिंह
रघुवंश बाबू ने ही वर्ष 77 और 85 में लगातार दो बार हराकर रामानंद बाबू के जीत पर ब्रेक लगा दिया था। उसके बाद रामानंद बाबू चुनाव मैदान में उतरे ही नही। 85 के चुनाव में तो वे (रामानंद सिंह) 4216 वोट के साथ पांचवें स्थान पर रहे थे। नयी पीढ़ी को शायद ही यह मालूम होगा कि रामानंद बाबू कभी सूबे के कानून मंत्री भी थे। उनके दो पुत्र हुए। एक राधेश्याम सिंह, जो सिविल कोर्ट में वरीय अधिवक्ता थे और दूसरे डॉ ओम प्रकाश सिंह, जो चिकित्सक थे। दोनों भाइयों का निधन हो चुका है।
2010 में हार का बदला किया था चुकता
2010 के चुनाव में सुनीता ने जीत कर संजय से हार का बदला चुकता कर ली थी। दोनों को क्रमशः 19580 और 18559 वोट मिले थे। 2015 में एक बार फिर सुनीता सिंह चौहान जीती। इस चुनाव में उन्होंने लोजपा के मो. नसीर को पराजित की थी। गौरतलब है कि संजय गुप्ता मूल रूप से शिवहर जिला के निवासी है। उनके पिता सत्यनारायण प्रसाद शिवहर विधानसभा क्षेत्र से एक बार विधायक चुने गए थे।
बेलसंड विधानसभा चुनाव परिणाम 2010
बेलसंड विधानसभा चुनाव परिणाम 2015
बेलसंड विधानसभा चुनाव परिणाम 2020
जीत की हैट्रिक बनाने से चूक गई सुनीता
बेलसंड विस से जदयू प्रत्याशी सुनीता सिंह चौहान जीत की हैट्रिक बनाने से चूक गई है। वह 2010 और 2015 में लगातार दो बार चुनाव जीतकर 2020 के चुनाव में जीत की हैट्रिक बनाने के लिए चुनाव मैदान में उतरी थी, लेकिन सफल नहीं हो सकी है। विभिन्न कारणों से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
फिलहाल राजद के कब्जे में है बेलसंड विस
फिलहाल बेलसंड विधानसभा क्षेत्र राजद विधायक संजय कुमार गुप्ता के कब्जे में है। यानी वर्ष 2020 के विस चुनाव में गुप्ता जीते थे। यह उनकी दूसरी जीत थी, तो एक बार उन्हें हार का भी सामना करना पड़ा था। 2020 में गुप्ता 13685 मतों के अंतर से जीते थे। बेलसंड से गुप्ता पहली बार नवंबर - 2005 के चुनाव में खड़ा थे। उन्हें 30899 वोट मिला था और वे 1383 वोट से जीते थे। उन्होंने जदयू प्रत्याशी सुनीता सिंह चौहान को पराजित किया था।
वर्ष 1952 से लेकर 2020 के चुनाव में बेलसंड सीट से विजयी उम्मीदवार
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