पटना: जब सीताराम केसरी कांग्रेस के खजांची थे तब कहा जाता था, 'ना खाता ना बही, जो केसरी कहे वही सही।' 15 नवंबर 1919 को बिहार के पटना में जन्मे सीताराम केसरी का निधन 24 अक्टूबर 2000 हो गया। अब उनके निधन के 25 साल बाद एक बार बिहार चुनाव में उनको 'खींचकर' लाया गया है। कांग्रेस के 'घाघ' नेता रहे सीताराम केसरी को राहुल गांधी ने श्रद्धांजलि अर्पित की। मगर, पूरा मामला अब सियासी हो गया है। भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस नेताओं की ओर से सीताराम केसरी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दिए जाने को लेकर आलोचना की। बीजेपी ने आरोप लगाया कि वे बिहार विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर लोगों को 'मूर्ख बनाने' के लिए अपने पूर्व पार्टी अध्यक्ष के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने का दिखावा कर रहे हैं। बेगूसराय की रैली में पीएम मोदी ने कहा, 'कांग्रेस में एक परिवार है जो देश का सबसे भ्रष्ट परिवार है। उन्होंने अपने ही पूर्व अध्यक्ष सीताराम केसरी को बाथरूम में बंद कर दिया था और फिर सड़क पर फेंक दिया था। ऐसे लोग लोकतंत्र और सम्मान की बात करते हैं।'
बिहार चुनाव का कसरी कनेक्शन!दरअसल, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी समेत कांग्रेस नेताओं ने शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय 24, अकबर रोड पर केसरी की 25वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। वर्ष 1998 में कांग्रेस कार्यसमिति ने केसरी को पार्टी के अध्यक्ष पद से हटा दिया था। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, 'समय बड़ा बलवान है।' उन्होंने एक्स (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में आरोप लगाया, 'एक समय, कांग्रेस के प्रथम परिवार के निर्देश पर सीताराम केसरी को अपमानित किया गया -- उनकी धोती फाड़ दी गई और सोनिया गांधी के लिए कांग्रेस की गद्दी खाली कराने के मकसद से उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया।' पूनावाला ने राहुल गांधी पर आरोप लगाया कि वह केवल इसलिए पूर्व पार्टी अध्यक्ष के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने का दिखावा कर रहे हैं कि बिहार में चुनाव है। उन्होंने कहा, 'वे किसे बेवकूफ बना रहे हैं? उन्होंने दशरथ मांझी के बेटे के साथ क्या किया? उन्होंने भगत सिंह जी के बारे में क्या कहा-- उनकी तुलना हमास से कर दी!'
शहजाद पूनावाला ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी को बिहारियों और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) से काफी नफरत है। उन्होंने सवाल किया, 'क्या उन्होंने द्रमुक या (तेलंगाना के मुख्यमंत्री) रेवंत रेड्डी द्वारा बिहार के लोगों पर की गई टिप्पणियों की निंदा की? क्या उन्होंने कांग्रेस द्वारा बिहार को बीड़ी कहे जाने पर एक शब्द भी कहा? क्या उन्होंने कांग्रेस-राजद द्वारा प्रधानमंत्री (नरेन्द्र) मोदी की (दिवंगत) मां के बारे में अपशब्द कहे जाने की निंदा की?'
धोती वाला किस्सा क्या है?मार्च 1998 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद सोनिया गांधी को पार्टी की कमान सौंपने की मांग उठी थी। इसी के चलते कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की एक बैठक में सीताराम केसरी को इस्तीफा देने के लिए कहा गया। रिपोर्टों के अनुसार, केसरी को हटाने की प्रक्रिया काफी अपमानजनक रही। कहा जाता है कि कांग्रेस मुख्यालय में उन्हें कथित तौर पर एक कमरे में बंद कर दिया गया था ताकि वो सोनिया गांधी के कार्यभार संभालने में दखल न दे सकें। कुछ खबरों में ये भी बताया गया कि युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनके साथ धक्का-मुक्की की गई और उनकी धोती तक खींच ली गई थी, जिसके बाद उन्हें बेइज्जत करके कार्यालय से बाहर कर दिया गया था।
कौन थे सीताराम केसरी?बिहार के रहने वाले सीताराम केसरी कम उम्र से ही भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रहे और 1930 से 1942 के बीच अपनी राजनीतिक गतिविधियों के लिए कई बार गिरफ्तार हुए। वो 1967 में कटिहार से लोकसभा के लिए चुने गए और 1971 से 2000 के बीच राज्यसभा में पांच कार्यकाल तक सांसद रहे। सीताराम केसरी ने कई दिग्गज नेताओं के साथ काम किया। इसके अलावा, सीताराम केसरी 1973 में कांग्रेस की बिहार इकाई के अध्यक्ष और 1980 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के कोषाध्यक्ष चुने गए। वो एक दशक तक एआईसीसी के कोषाध्यक्ष रहे थे। बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए 6 और 11 नवंबर को, दो चरणों में चुनाव होना है। मतगणना 14 नवंबर को होगी।
इनपुट- एजेंसी
बिहार चुनाव का कसरी कनेक्शन!दरअसल, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी समेत कांग्रेस नेताओं ने शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय 24, अकबर रोड पर केसरी की 25वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। वर्ष 1998 में कांग्रेस कार्यसमिति ने केसरी को पार्टी के अध्यक्ष पद से हटा दिया था। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, 'समय बड़ा बलवान है।' उन्होंने एक्स (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में आरोप लगाया, 'एक समय, कांग्रेस के प्रथम परिवार के निर्देश पर सीताराम केसरी को अपमानित किया गया -- उनकी धोती फाड़ दी गई और सोनिया गांधी के लिए कांग्रेस की गद्दी खाली कराने के मकसद से उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया।' पूनावाला ने राहुल गांधी पर आरोप लगाया कि वह केवल इसलिए पूर्व पार्टी अध्यक्ष के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने का दिखावा कर रहे हैं कि बिहार में चुनाव है। उन्होंने कहा, 'वे किसे बेवकूफ बना रहे हैं? उन्होंने दशरथ मांझी के बेटे के साथ क्या किया? उन्होंने भगत सिंह जी के बारे में क्या कहा-- उनकी तुलना हमास से कर दी!'
शहजाद पूनावाला ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी को बिहारियों और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) से काफी नफरत है। उन्होंने सवाल किया, 'क्या उन्होंने द्रमुक या (तेलंगाना के मुख्यमंत्री) रेवंत रेड्डी द्वारा बिहार के लोगों पर की गई टिप्पणियों की निंदा की? क्या उन्होंने कांग्रेस द्वारा बिहार को बीड़ी कहे जाने पर एक शब्द भी कहा? क्या उन्होंने कांग्रेस-राजद द्वारा प्रधानमंत्री (नरेन्द्र) मोदी की (दिवंगत) मां के बारे में अपशब्द कहे जाने की निंदा की?'
धोती वाला किस्सा क्या है?मार्च 1998 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद सोनिया गांधी को पार्टी की कमान सौंपने की मांग उठी थी। इसी के चलते कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की एक बैठक में सीताराम केसरी को इस्तीफा देने के लिए कहा गया। रिपोर्टों के अनुसार, केसरी को हटाने की प्रक्रिया काफी अपमानजनक रही। कहा जाता है कि कांग्रेस मुख्यालय में उन्हें कथित तौर पर एक कमरे में बंद कर दिया गया था ताकि वो सोनिया गांधी के कार्यभार संभालने में दखल न दे सकें। कुछ खबरों में ये भी बताया गया कि युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनके साथ धक्का-मुक्की की गई और उनकी धोती तक खींच ली गई थी, जिसके बाद उन्हें बेइज्जत करके कार्यालय से बाहर कर दिया गया था।
कौन थे सीताराम केसरी?बिहार के रहने वाले सीताराम केसरी कम उम्र से ही भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रहे और 1930 से 1942 के बीच अपनी राजनीतिक गतिविधियों के लिए कई बार गिरफ्तार हुए। वो 1967 में कटिहार से लोकसभा के लिए चुने गए और 1971 से 2000 के बीच राज्यसभा में पांच कार्यकाल तक सांसद रहे। सीताराम केसरी ने कई दिग्गज नेताओं के साथ काम किया। इसके अलावा, सीताराम केसरी 1973 में कांग्रेस की बिहार इकाई के अध्यक्ष और 1980 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के कोषाध्यक्ष चुने गए। वो एक दशक तक एआईसीसी के कोषाध्यक्ष रहे थे। बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए 6 और 11 नवंबर को, दो चरणों में चुनाव होना है। मतगणना 14 नवंबर को होगी।
इनपुट- एजेंसी
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