इस्लामाबाद: पाकिस्तानी सेना पैसा कमाने के लिए किराए पर सैनिकों को तैनात करती रही है। चाहें वह सऊदी अरब हो या फिर कोई और इस्लामी मुल्क। इसके बावजूद पाकिस्तानी सेना ने एक पेशेवर सेना के कुछ अवशेष बचाकर रखे हुए थे। लेकिन, वर्तमान सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर वे निशानियां मिटा रहे हैं। इससे पाकिस्तानी सेना अपने देश या अवाम के लिए नहीं, बल्कि इस्लाम के लिए लड़ने वाली सेना में तब्दील हो रही है। पाकिस्तानी सेना का इस्लामी फोर्स के रूप में यह परिवर्तन ऐसे समय हो रहा है, जब असीम मुनीर संविधान संशोधन के जरिए पाकिस्तान में सबसे शक्तिशाली बन गए हैं।
पाकिस्तानी सेना को इस्लामी सेना बना रहे मुनीर
पाकिस्तानी सेना पाकिस्तान की नाक में दम करने वाले आतंकवादी समूहों को भारत का शागिर्द बताती है। उसने इनके लिए फितना अल ख्वारिज और फितना अल हिंदुस्तान जैसे काल्पनिक शब्दों का इस्तेमाल किया है। फितना और ख्वारिज दोनों ही शब्दों के इस्लामी अर्थ सातवीं सदी के अरब लुटेरों से जुड़े हैं। शुरुआत में इन शब्दों का इस्तेमाल करके असीम मुनीर ने पाकिस्तानी सेना को विधर्मी विद्रोहियों के खिलाफ इस्लाम के रक्षक के रूप में पेश करने की कोशिश की। इसके बाद उन्होंने पाकिस्तान को मुस्लिम उम्माह के चैंपियन के रूप में पेश किया।
मुनीर ने पाकिस्तान में किया खामोश तख्तापलट
पाकिस्तान अपने सैन्य जनरलों द्वारा तख्तापलट के लिए पूरी दुनिया में कुख्यात रहा है। लेकिन, वर्तमान सेना प्रमुख असीम मुनीर ने इन मामलों में होशियारी से काम लिया है। उन्होंने पाकिस्तान में खामोशी से तख्तापलट किया है, जिससे उन्हें सारी शक्ति भी मिल गई है और बदनामी भी नहीं हुई है। दरअसल, मुनीर के आदेश पर पाकिस्तान के रबर स्टैंप प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद 243 में बड़ा बदलाव किया है। पाकिस्तानी सीनेट ने इसे सोमवार को ही पारित कर दिया था।
मुनीर बनेंगे पाकिस्तान के पहले सीडीएफ
इस बदलाव से पाकिस्तान में तीनों सेनाओं के लिए एक एकीकृत कमान संरचना की स्थापना होगी, जिसमें मुनीर को संविधान के माध्यम से सेना पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त होगा। अनुच्छेद 243 वर्तमान में सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमान राष्ट्रपति के पास रखता है, जबकि संचालन नियंत्रण संघीय सरकार के अधीन रहता है। पाकिस्तान के उच्च सदन (सीनेट) में पारित होने के बाद, इस संशोधन को मंगलवार को राष्ट्रीय सभा (निचले सदन) में भी मंजूरी दे दी गई। यह संशोधन सत्ता-साझाकरण व्यवस्था को समाप्त कर देता है और चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (सीडीएफ) को सर्वोच्च प्राधिकारी बनाता है। मुनीर इस महीने के अंत में सेना प्रमुख के पद से रिटायर होने के बाद सीडीएफ के पद पर काबिज होंगे।
इस्लाम के पहरेदार बने असीम मुनीर
पाकिस्तान के अन्य सैन्य तानाशाहों के उलट असीम मुनीर ज्यादा कट्टरपंथी माने जाते हैं। ज़िया-उल-हक ने 1977 में पाकिस्तान में तख्तापलट किया था। उन्होंने निर्वाचित प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को पद से हटाया था और एक कट्टरपंथी इस्लामी राज्य की नींव रखी थी। जिया ने ही पाकिस्तानी सेना का इस्लामीकरण शुरू किया था। मुनीर को जिया का असली उत्तराधिकारी माना जा रहा है। जहां पाकिस्तान के दूसरे सैन्य प्रमुखों को अमेरिका में ट्रेनिंग लेने वाला, पश्चिमी संगीत का शौकीन और व्हिस्की पीने वाला माना जाता है, वहीं असीम मुनीर एक हाफिज-ए-कुरान है। उन्हें कुरान पूरी तरह याद है। मुनीर किसी सैन्य प्रमुख की तरह नहीं, बल्कि कट्टरपंथी मौलाना की तरह धार्मिक तकरीरें भी करते हैं।
पाकिस्तानी सेना को इस्लामी सेना बना रहे मुनीर
पाकिस्तानी सेना पाकिस्तान की नाक में दम करने वाले आतंकवादी समूहों को भारत का शागिर्द बताती है। उसने इनके लिए फितना अल ख्वारिज और फितना अल हिंदुस्तान जैसे काल्पनिक शब्दों का इस्तेमाल किया है। फितना और ख्वारिज दोनों ही शब्दों के इस्लामी अर्थ सातवीं सदी के अरब लुटेरों से जुड़े हैं। शुरुआत में इन शब्दों का इस्तेमाल करके असीम मुनीर ने पाकिस्तानी सेना को विधर्मी विद्रोहियों के खिलाफ इस्लाम के रक्षक के रूप में पेश करने की कोशिश की। इसके बाद उन्होंने पाकिस्तान को मुस्लिम उम्माह के चैंपियन के रूप में पेश किया।
मुनीर ने पाकिस्तान में किया खामोश तख्तापलट
पाकिस्तान अपने सैन्य जनरलों द्वारा तख्तापलट के लिए पूरी दुनिया में कुख्यात रहा है। लेकिन, वर्तमान सेना प्रमुख असीम मुनीर ने इन मामलों में होशियारी से काम लिया है। उन्होंने पाकिस्तान में खामोशी से तख्तापलट किया है, जिससे उन्हें सारी शक्ति भी मिल गई है और बदनामी भी नहीं हुई है। दरअसल, मुनीर के आदेश पर पाकिस्तान के रबर स्टैंप प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद 243 में बड़ा बदलाव किया है। पाकिस्तानी सीनेट ने इसे सोमवार को ही पारित कर दिया था।
मुनीर बनेंगे पाकिस्तान के पहले सीडीएफ
इस बदलाव से पाकिस्तान में तीनों सेनाओं के लिए एक एकीकृत कमान संरचना की स्थापना होगी, जिसमें मुनीर को संविधान के माध्यम से सेना पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त होगा। अनुच्छेद 243 वर्तमान में सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमान राष्ट्रपति के पास रखता है, जबकि संचालन नियंत्रण संघीय सरकार के अधीन रहता है। पाकिस्तान के उच्च सदन (सीनेट) में पारित होने के बाद, इस संशोधन को मंगलवार को राष्ट्रीय सभा (निचले सदन) में भी मंजूरी दे दी गई। यह संशोधन सत्ता-साझाकरण व्यवस्था को समाप्त कर देता है और चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (सीडीएफ) को सर्वोच्च प्राधिकारी बनाता है। मुनीर इस महीने के अंत में सेना प्रमुख के पद से रिटायर होने के बाद सीडीएफ के पद पर काबिज होंगे।
इस्लाम के पहरेदार बने असीम मुनीर
पाकिस्तान के अन्य सैन्य तानाशाहों के उलट असीम मुनीर ज्यादा कट्टरपंथी माने जाते हैं। ज़िया-उल-हक ने 1977 में पाकिस्तान में तख्तापलट किया था। उन्होंने निर्वाचित प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को पद से हटाया था और एक कट्टरपंथी इस्लामी राज्य की नींव रखी थी। जिया ने ही पाकिस्तानी सेना का इस्लामीकरण शुरू किया था। मुनीर को जिया का असली उत्तराधिकारी माना जा रहा है। जहां पाकिस्तान के दूसरे सैन्य प्रमुखों को अमेरिका में ट्रेनिंग लेने वाला, पश्चिमी संगीत का शौकीन और व्हिस्की पीने वाला माना जाता है, वहीं असीम मुनीर एक हाफिज-ए-कुरान है। उन्हें कुरान पूरी तरह याद है। मुनीर किसी सैन्य प्रमुख की तरह नहीं, बल्कि कट्टरपंथी मौलाना की तरह धार्मिक तकरीरें भी करते हैं।
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