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पाकिस्तान की आने वाली है शामत, भारत ने चल दिए तुरुप का इक्का वाला दांव

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नई दिल्ली: 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत भारत से बुरी तरह पिटे पाकिस्तान के हालात अभी और खराब होंगे। पाकिस्तान भले ही चीन, अजरबैजान और तुर्की के दमपर जितना चाहे उछल कूद कर ले, लेकिन भारत ने तालिबान के मंत्री से बात कर पाकिस्तान को बड़ा संकेत दे दिया है कि भारत कुछ बड़ा फैसला कर सकता है। यह फैसला पाकिस्तान की नींद उड़ाने वाला ही होगा। दरअसल विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को तालिबान के कार्यकारी विदेश मंत्री आमीर खान मुत्ताकी से फोन पर बात की। यह बातचीत इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से पहली बार मंत्री स्तर पर संपर्क किया है। यह कॉल तब हुई है जब तालिबान ने पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादियों द्वारा किए गए पहलगाम हमले की निंदा की थी। इस हमले में 26 नागरिक मारे गए थे। भारत अभी तक तालिबान सरकार को आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं देता है। लेकिन जयशंकर और मुत्ताकी ने भारत और अफगानिस्तान के बीच संबंधों को मजबूत करने और सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'आज शाम अफगान विदेश मंत्री मौलवी आमीर खान मुत्ताकी के साथ अच्छी बातचीत हुई। पहलगाम आतंकवादी हमले की उनकी निंदा की मैं बहुत सराहना करता हूं।' उन्होंने आगे कहा कि बातचीत के दौरान उन्होंने अफगान लोगों के साथ हमारी (भारत की) पारंपरिक दोस्ती और उनकी विकास संबंधी जरूरतों के लिए निरंतर समर्थन का जिक्र किया, सहयोग को आगे ले जाने के तरीकों और साधनों पर चर्चा की।' पाकिस्तान, तालिबान को जम्मू और कश्मीर की घटनाओं से जोड़ने की कोशिश कर रहा है। जयशंकर ने इस बारे में लिखा कि उन्होंने मुत्ताकी के 'पाकिस्तान मीडिया में झूठी और निराधार रिपोर्टों के माध्यम से भारत और अफगानिस्तान के बीच अविश्वास पैदा करने के हालिया प्रयासों को दृढ़ता से खारिज करने' का स्वागत किया। अधिक वीजा प्रदान करने की अपीलतालिबान के संचार निदेशक हाफिज जिया अहमद के अनुसार, मुत्ताकी ने जयशंकर से अफगान नागरिकों, खासकर मेडिकल हेल्प चाहने वालों के लिए अधिक वीजा प्रदान करने के लिए कहा। उन्होंने यह भी कहा कि द्विपक्षीय व्यापार, भारतीय जेलों में बंद अफगान कैदियों की रिहाई और वापसी, और ईरान में चाबहार बंदरगाह के विकास पर चर्चा हुई। भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार संबंध पूरी तरह से खत्म हो गए हैं। दोनों देशों ने पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद अपनी सीमा चौकियां बंद कर दी हैं। ऐसे में चाबहार बंदरगाह पर चर्चा महत्वपूर्ण है। अफगानिस्तान एक भू-आबद्ध देश है, उसे भारत तक पहुंचने के लिए पाकिस्तान के रास्ते पर निर्भर रहना पड़ता है, इसलिए, इस बंदरगाह का महत्व और बढ़ जाता है। भारत और अफगानिस्तान की सीमा भी लगती है. लेकिन, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के कारण यह सीमा 1947 से कटी हुई है। व्यापार के लिए एकमात्र विकल्प ईरान में चाबहार बंदरगाह के माध्यम से है। इन बातों से लगेगी पाकिस्तान को मिर्ची-
  • अगस्त 2021 में, अमेरिका के अफगानिस्तान से हटने के बाद तालिबान शासन सत्ता में आया, तब से, भारत और तालिबान प्रशासन संबंधों को मजबूत करने के लिए कदम उठा रहे हैं। दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। भारतीय राजनयिकों और तालिबान अधिकारियों के बीच कई बैठकें हुई हैं। इन बैठकों का उद्देश्य दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाना है।
  • भारत ने अभी तक तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है। लेकिन, अफगानिस्तान के प्रति भारत की नीति अफगान नागरिकों को मानवीय सहायता प्रदान करने और उनकी भलाई पर केंद्रित है। संबंधों को सामान्य बनाने के लिए राजनयिक प्रयास भी जारी हैं।
  • पहलगाम आतंकवादी हमले के कुछ दिनों बाद, 27 अप्रैल को, भारतीय राजनयिक आनंद प्रकाश ने काबुल का दौरा किया। उस समय, 'सीमा पार आतंकवाद' को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था। प्रकाश ने अपनी यात्रा के दौरान मुत्ताकी से मुलाकात की।
  • अफगानिस्तान में बैठकों के अलावा, जनवरी में दुबई में एक उच्च-स्तरीय बैठक भी हुई। इसमें विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ तालिबान के विदेश मंत्री आमीर खान मुत्ताकी और एक अफगान प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने चाबहार बंदरगाह सहित कई मुद्दों पर बातचीत की।
  • दुबई में हुई बैठक का उद्देश्य मानवीय सहायता, विकास सहायता, व्यापार, वाणिज्य, खेल, सांस्कृतिक संबंध, क्षेत्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीय हित की परियोजनाओं पर सहयोग बढ़ाना था।
  • भारत सरकार ने तालिबान को नई दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद में अफगान मिशनों पर धीरे-धीरे नियंत्रण करने की अनुमति दी है। इससे तालिबान भारत में अपने नागरिकों को कांसुलर सेवाएं प्रदान कर सकेगा। साथ ही, यह उन लोगों की मदद कर सकेगा जो व्यापार, अध्ययन या चिकित्सा देखभाल के लिए अफगानिस्तान से भारत आ रहे हैं।
  • भारत ने दिसंबर 2024 तक 50,000 मीट्रिक टन से अधिक गेहूं, 300 टन दवाएं, 27 टन भूकंप राहत सहायता, 40,000 लीटर कीटनाशक, 100 मिलियन पोलियो खुराक, 1.5 मिलियन कोविड वैक्सीन खुराक, 11,000 यूनिट स्वच्छता किट, 500 यूनिट सर्दियों के कपड़े और 1.2 टन स्टेशनरी किट भेजी है।
  • भारत अफगानिस्तान के लोगों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत और अफगानिस्तान के बीच संबंध ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहे हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार, संस्कृति और लोगों के बीच गहरे संबंध हैं। भारत अफगानिस्तान में विकास परियोजनाओं में भी मदद कर रहा है।
पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फेर दियातालिबान के साथ भारत की बातचीत एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने में मदद मिल सकती है। यह क्षेत्र में शांति और स्थिरता लाने में भी मदद कर सकता है। भारत को अफगानिस्तान में अपने हितों की रक्षा करने और अफगान लोगों की मदद करने के लिए तालिबान के साथ बातचीत जारी रखनी चाहिए। भारत का यह कदम पाकिस्तान को भी एक संदेश है। पाकिस्तान, तालिबान को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है. लेकिन, भारत ने तालिबान के साथ सीधे बातचीत करके पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फेर दिया है। पाकिस्तान का मुंह कर दिया था बंद अफगान मीडिया आउटलेट हुर्रियत रेडियो के साथ 10 मई को एक इंटरव्यू में अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता इनायतुल्लाह खवारजमी ने पाकिस्तान के इस आरोप को पूरी तरह से खारिज कर दिया था कि भारत ने अफगान धरती पर मिसाइल हमला किया है, और ऐसे दावों को झूठा और निराधार बताया था। काबुल की यह प्रतिक्रिया भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री की ओर से पाकिस्तान के 'पूरी तरह से ओछे आरोपों' को खारिज करने के कुछ घंटे बाद आई, जिसमें उन्होंने आरोपों को 'हास्यास्पद दावे' बताया।
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