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Kalava : सिर्फ एक धागा नहीं, आपकी रक्षा और सेहत का पवित्र बंधन है, जानिए इसे बांधने का सही नियम

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News India Live, Digital Desk: पूजा-पाठ हो या कोई भी शुभ काम, आपने अक्सर पंडित जी को हमारी कलाई पर एक लाल-पीला धागा बांधते हुए देखा होगा, जिसे कलावा, मौली या रक्षा सूत्र कहते हैं। हम में से ज्यादातर लोग इसे बिना कोई सवाल किए बंधवा लेते हैं और तब तक पहने रहते हैं जब तक यह खुद खुल न जाए। लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि यह मामूली सा दिखने वाला धागा आखिर इतना शक्तिशाली क्यों है? इसे बांधने का सही तरीका क्या है और यह हमारे जीवन पर क्या असर डालता है?यह सिर्फ एक धागा नहीं है, बल्कि यह आस्था, सुरक्षा और हमारी सेहत से जुड़ा एक गहरा विज्ञान है। चलिए, आज कलावा से जुड़े हर पहलू को समझते हैं।यह सिर्फ एक धागा नहीं, त्रिदेवियों का आशीर्वाद हैकलावा या मौली कच्चे सूत से बना होता है और इसमें आमतौर पर लाल, पीला या कभी-कभी केसरिया रंग होता है। इन रंगों का अपना महत्व है, लेकिन इसका सबसे बड़ा आध्यात्मिक महत्व यह है कि इसे त्रिदेवियों - लक्ष्मी, सरस्वती और पार्वती का प्रतीक माना जाता है। जब यह धागा हमारी कलाई पर बंधता है, तो माना जाता है कि हम इन तीनों देवियों का आशीर्वाद और उनकी सुरक्षा अपनी कलाई पर धारण कर लेते हैं। यह हमें बुरी नजर और नकारात्मक शक्तियों से बचाता है।सबसे बड़ा सवाल: किस हाथ में बांधें कलावा?यह एक ऐसा सवाल है जिसमें ज्यादातर लोग गलती करते हैं। इसे बांधने का नियम पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग है।पुरुष और अविवाहित लड़कियां: पुरुषों और जिन लड़कियों की शादी नहीं हुई है, उन्हें कलावा हमेशा दाहिने यानी सीधे हाथ (Right Hand) में बंधवाना चाहिए।शादीशुदा महिलाएं: जिन महिलाओं की शादी हो चुकी है, उन्हें कलावा बाएं यानी उल्टे हाथ (Left Hand) में बांधना चाहिए।इसके पीछे का तर्क यह है कि शास्त्रों में शरीर के दाहिने हिस्से को पुरुषत्व का और बाएं हिस्से को स्त्रीत्व का प्रतीक माना गया है।कलावा बांधने का सही तरीकारक्षा सूत्र का पूरा लाभ तभी मिलता है, जब इसे सही विधि से बांधा जाए।कलावा हमेशा किसी ब्राह्मण, पंडित या घर के बड़े-बुजुर्गों से ही बंधवाना चाहिए।जिसे कलावा बंधवाना है, उसे अपना सिर ढंककर और अपनी एक मुट्ठी बंद करके हाथ आगे करना चाहिए। मुट्ठी में आप कोई सिक्का या फूल रख सकते हैं।कलावा बांधने वाले को इसे हाथ में तीन या पांच बार लपेटना चाहिए।कलावा बांधते समय " येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वाम् प्रतिबद्ध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।। " मंत्र का जाप करना चाहिए। इसका अर्थ है, "जिस रक्षा सूत्र से महान शक्तिशाली राजा बलि को बांधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं। हे रक्षे! तुम चलायमान न हो।"कलावा बंधवाने के बाद आपको बांधने वाले को दक्षिणा देनी चाहिए।क्या इसका कोई वैज्ञानिक महत्व भी है?आयुर्वेद के अनुसार, हमारे शरीर के ज्यादातर अंगों तक पहुंचने वाली नसें कलाई से होकर गुजरती हैं। जब कलाई पर मौली बांधी जाती है, तो इससे इन नसों की क्रिया नियंत्रित होती है। यह शरीर के त्रिदोषों - वात, पित्त और कफ में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। माना जाता है कि इससे ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और डायबिटीज जैसी समस्याओं में भी कुछ हद तक लाभ मिल सकता है।पुराने कलावे का क्या करें?यह सबसे जरूरी बात है। जब कलावा पुराना हो जाए या अपने आप खुल जाए, तो उसे कभी भी कूड़ेदान में या इधर-उधर नहीं फेंकना चाहिए। यह उसका अपमान होता है। पुराने कलावे को श्रद्धापूर्वक उतारकर किसी पीपल के पेड़ के नीचे रख दें या बहते हुए साफ पानी में प्रवाहित कर दें।तो अगली बार जब कोई आपकी कलाई पर कलावा बांधे, तो उसे सिर्फ एक धागा मत समझिएगा। यह आपकी रक्षा के लिए एक पवित्र बंधन है, जिसे पूरे सम्मान और सही नियम के साथ धारण करना चाहिए।
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