News India Live, Digital Desk : Indian Cricket Team : भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बनाना जितना मुश्किल है, उससे कहीं ज़्यादा मुश्किल उस जगह को बनाए रखना है. यहां गला-काट प्रतिस्पर्धा का आलम यह है कि कभी-कभी शानदार प्रदर्शन भी आपके करियर की गारंटी नहीं होता. इसका सबसे बड़ा और शायद सबसे दुर्भाग्यपूर्ण उदाहरण हैं बल्लेबाज़ करुण नायर, जिनकी कहानी आज भी क्रिकेट फैंस को हैरान करती है. अब, भारतीय टीम के पूर्व कप्तान अजिंक्य रहाणे ने इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ी है और कहा है कि करुण नायर को टीम से बाहर किए जाने से पहले एक और मौका ज़रूर मिलना चाहिए था.क्या है करुण नायर की कहानी?याद कीजिए साल 2016 का चेन्नई टेस्ट. इंग्लैंड के खिलाफ खेलते हुए कर्नाटक के इस युवा बल्लेबाज़ ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया था जो उनसे पहले सिर्फ वीरेंद्र सहवाग ही कर पाए थे - टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक. करुण ने नाबाद 303 रनों की ऐतिहासिक पारी खेली. उस समय ऐसा लगा कि भारत को मध्यक्रम में एक और भरोसेमंद और बड़ा स्कोर बनाने वाला बल्लेबाज़ मिल गया है.लेकिन इसके बाद जो हुआ, वह किसी ने नहीं सोचा था. अपनी इस रिकॉर्ड-तोड़ पारी के बाद करुण कुछ और मैच खेले, लेकिन उनका प्रदर्शन साधारण रहा, जिसके बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया. हैरानी की बात यह है कि उन्हें फिर कभी भारतीय टेस्ट टीम में वापसी का मौका ही नहीं मिला.अजिंक्य रहाणे ने क्या कहा?एक इंटरव्यू के दौरान जब रहाणे से करुण नायर के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने बहुत ईमानदारी से अपनी बात रखी. रहाणे ने कहा, "उसे (करुण को) निश्चित रूप से एक और मौका मिलना चाहिए था. जिसने 300 रन बनाए हैं, उसे आप अगली सीरीज में सीधे बाहर नहीं कर सकते. मुझे नहीं पता कि चयनकर्ताओं के दिमाग में क्या चल रहा था या कप्तान और कोच ने क्या फैसला लिया. लेकिन अगर कोई 300 रन बनाता है, तो उसे टीम में अपनी जगह पक्की करने के लिए निश्चित रूप से अगला पूरा सीजन मिलना चाहिए."रहाणे ने आगे यह भी जोड़ा कि टीम कॉम्बिनेशन और उस समय की परिस्थितियों के कारण कुछ फैसले लेने पड़ते हैं, लेकिन यह करुण के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण था.एक बड़ा सवाल जो आज भी कायम हैअजिंक्य रहाणे का यह बयान उस पुरानी बहस को फिर से ताज़ा कर देता है कि क्या भारतीय क्रिकेट में प्रतिभाओं को अपनी काबिलियत साबित करने के लिए पर्याप्त समय और मौके दिए जाते हैं? करुण नायर का मामला यह दिखाता है कि कैसे एक खिलाड़ी शिखर पर पहुंचने के तुरंत बाद गुमनामी के अंधेरे में खो सकता है.यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि जब करुण को टीम से बाहर किया गया था, तब रहाणे भी टीम का एक अहम हिस्सा थे. उनका यह स्वीकार करना कि करुण के साथ बेहतर व्यवहार होना चाहिए था, इस पूरे मामले को एक नया दृष्टिकोण देता है.
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