अगर आपने भगवान कृष्ण की मूर्ति या कैलेंडर की छवि पर ज़रा भी ध्यान दिया है, तो आपने उनके नीले रंग पर ज़रूर ध्यान दिया होगा। क्या आपने कभी सोचा है कि कृष्ण का रंग नीला क्यों है? हम जानते हैं कि यह सवाल आपके मन में एक बार ज़रूर आया होगा। तो आइए जानें कि कृष्ण का रंग नीला कैसे हुआ। उनके नीले रंग के बारे में पुराणों में कई कहानियाँ वर्णित हैं... संस्कृत में "कृष्ण" का अर्थ काला होता है। आइए कृष्ण के काले रंग के पीछे के रहस्य को जानें।
राक्षसी पूतना द्वारा दिया गया विष
पूतना एक राक्षसी थी जिसे भगवान कृष्ण को मारने का काम सौंपा गया था। उसका काम स्तनपान के बहाने शिशुओं को जहर देना था। कई शिशु उसके शिकार हुए, लेकिन कृष्ण ने उसकी सच्चाई जान ली और पूतना का वध कर दिया। इसी विष ने कृष्ण को नीला कर दिया था।
कालिया नाग की कहानी
एक और कहानी बताती है कि कालिया नाम का एक नाग यमुना नदी में रहता था और पूरे गोकुल क्षेत्र में आतंक फैला रहा था। जब भगवान कृष्ण ने इस सर्प से युद्ध किया, तो सर्प से निकले नीले विष ने भगवान कृष्ण के शरीर को पूरी तरह नीला कर दिया।
प्रकृति का नीला रंग
भगवान कृष्ण प्रकृति के रंग का प्रतिनिधित्व करते हैं। आकाश, प्रकृति और समुद्र - बहुत सी चीज़ें - नीले रंग की हैं। यह रंग मनुष्यों को शांति और स्थिरता प्रदान करता है। भगवान का यह नीला रंग उनके चरित्र की विशालता और उनकी दृष्टि की गहराई का प्रतीक है। इसलिए, भगवान कृष्ण का रंग नीला है।
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