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ये है देश की सबसे छोटी ट्रेन, 9 किलोमीटर पहुंचने में लगाती है 40 मिनट का समय

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भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क्स में से एक है, जो हर दिन लाखों यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाता है। चाहे लंबी दूरी की राजधानी एक्सप्रेस हो या लोकल पैसेंजर ट्रेन, रेलवे का हर कोना यात्रियों की सुविधा के लिए समर्पित है। लेकिन क्या आपने कभी किसी ऐसी ट्रेन के बारे में सुना है जो केवल तीन बोगियों की हो और जिसे आप साइकिल से भी तेज चलकर पीछे छोड़ सकते हैं?

अगर नहीं सुना, तो आज हम आपको बताएंगे भारत की सबसे छोटी ट्रेन के बारे में, जो केरल के कोचीन हार्बर टर्मिनस (CHT) और एर्नाकुलम जंक्शन के बीच चलती है। यह ट्रेन न केवल आकार में छोटी है बल्कि इसकी रफ्तार भी इतनी धीमी है कि पहली बार देखने वाले को यकीन ही नहीं होता कि ये ट्रेन है या कोई छोटा लोकल वाहन।

सिर्फ तीन डिब्बों की ट्रेन – ऐसा नजारा पहले कभी नहीं देखा होगा

आमतौर पर भारतीय रेलवे की ट्रेनों में 18 से 24 बोगियां होती हैं, और लंबी दूरी की ट्रेनों में यह संख्या और भी अधिक हो सकती है। लेकिन इस ट्रेन की खास बात यह है कि इसमें सिर्फ तीन बोगियां हैं।

जब यह ट्रेन ट्रैक पर दौड़ती है तो दूर से देखने पर ऐसा लगता है मानो सिर्फ इंजन ही चल रहा हो। यह नजारा उन यात्रियों के लिए बहुत ही अनोखा होता है जो रेलवे की बड़ी-बड़ी ट्रेनों के आदी हैं।

DEMU ट्रेन – आधुनिक लेकिन बेहद धीमी

इस ट्रेन को रेलवे ने डीजल इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट (DEMU) का नाम दिया है। यह ट्रेन तकनीकी रूप से आधुनिक तो है लेकिन इसकी गति काफी कम है। कोची हार्बर टर्मिनस और एर्नाकुलम जंक्शन के बीच चलने वाली इस ट्रेन का रूट सिर्फ 9 किलोमीटर लंबा है।

यह छोटा सा सफर तय करने में ट्रेन को करीब 40 मिनट का समय लगता है। यानी इस रफ्तार से तो एक साइकिल सवार भी ट्रेन से आगे निकल सकता है। हालांकि इसका उद्देश्य तेज गति से दौड़ना नहीं, बल्कि शहरी क्षेत्र में कम दूरी के यात्रियों को सुविधा देना है।

300 यात्रियों की क्षमता, लेकिन 10-12 लोग ही करते हैं सफर

रेलवे की इस सबसे छोटी ट्रेन में 300 यात्रियों के बैठने की क्षमता है, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि आमतौर पर इसमें सिर्फ 10 से 12 यात्री ही सफर करते हैं।

इसकी वजह यह भी हो सकती है कि ट्रेन का रूट काफी छोटा है और लोग इस दूरी के लिए ऑटो, बस या निजी वाहन से जाना अधिक सुविधाजनक समझते हैं। लेकिन फिर भी रेलवे ने इस सेवा को बंद नहीं किया है क्योंकि यह कुछ खास यात्रियों के लिए एकमात्र विकल्प भी है।

एक स्टॉप वाला सबसे छोटा रूट

इस ट्रेन का सफर जितना छोटा है, इसके स्टॉप्स भी उतने ही कम हैं। कोची हार्बर टर्मिनस से चलकर यह ट्रेन केवल एक ही स्टॉप पर रुकती है और फिर एर्नाकुलम जंक्शन पहुंचती है।

यह यात्रा शहरी क्षेत्र में रहने वाले उन यात्रियों के लिए है जो ऑफिस या छोटे व्यवसायों के लिए रोजाना इस रूट पर सफर करते हैं।

रेलवे की सेवा भावना का प्रतीक

यह ट्रेन भले ही छोटी हो, लेकिन यह भारतीय रेलवे की उस सोच को दर्शाती है जिसमें हर यात्री की जरूरत को महत्व दिया गया है। रेलवे ने यह दिखा दिया कि चाहे कितने ही कम यात्री क्यों न हों, उनकी सुविधा के लिए सेवा देना उसका कर्तव्य है।

इसके संचालन से यह भी साबित होता है कि भारतीय रेलवे केवल मुनाफा कमाने के लिए नहीं, बल्कि लोगों की सुविधा और सेवा को ध्यान में रखते हुए फैसले लेता है।

निष्कर्ष

कोचीन हार्बर टर्मिनस और एर्नाकुलम जंक्शन के बीच चलने वाली यह ट्रेन न केवल भारत की सबसे छोटी ट्रेन है, बल्कि यह रेलवे की समर्पण भावना का भी उदाहरण है।

तीन डिब्बों वाली यह ट्रेन, धीमी गति और कम यात्रियों के बावजूद रोजाना चलती है ताकि उन कुछ लोगों की जरूरत पूरी की जा सके जो इस रूट पर निर्भर हैं। यह ट्रेन हमें यह सिखाती है कि सेवा का आकार नहीं, उसका उद्देश्य बड़ा होना चाहिए

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