आरएसएस के शताब्दी वर्ष में काशी दक्षिण भाग के स्वयंसेवकों ने विजयादशमी उत्सव में पथ संचलन किया
वाराणसी,10 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के काशी प्रांत के सह प्रांत प्रचारक सुनील ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति में व्यक्तिगत और राष्ट्रीय दो प्रकार के चरित्र होते हैं. प्रत्येक व्यक्ति के अंदर राष्ट्रीय चरित्र का विकास हो संघ इस संदर्भ का चिंतन करता है. जब सभी लोग एक साथ चलते हैं, बोलते हैं, सोचते हैं तभी अपना समाज संगठित होता है. चरित्र संपन्न होता है और गुणवान होता है. क्षेत्रवाद ,जातिवाद, भाषावाद छुआछूत इसी के आधार पर समाप्त होने वाला है. संघ के शताब्दी वर्ष में शुक्रवार शाम काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित बिड़ला मैदान में काशी दक्षिण मालवीय नगरकी ओर से आयोजित विजयादशमी उत्सव एवं पथ संचलन कार्यक्रम को सह प्रांत प्रचारक संबोधित कर रहे थे. उन्होंने संघ के कार्य प्रणाली की तुलना भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार से की . जिस प्रकार मछली को जिस भी पात्र में रखा जा रहा था वह उसका ही आकार ग्रहण कर ले रही थी. इसी तरह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी समाज जीवन में जहां-जहां गया वैसा आकर उसने ग्रहण कर लिया . उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के बीच में संघ अखिल Indian विद्यार्थी परिषद के रूप में कार्य करता है. मजदूरों के लिए Indian मजदूर संघ ,कृषकों के बीच में Indian किसान संघ . इस प्रकार से संघ का कार्य प्रसारित होता है. वर्तमान में 45 से अधिक समाज जीवन के क्षेत्र में संघ के कार्यकर्ता
कार्य कर रहे है. संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार की डायरी के एक अंश को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि संघ प्रसिद्धि का काम करेगा. और यदि प्रसिद्धि पूरे संगठन की दिख रही है तो प्रचार होना चाहिए. जिस प्रकार सूर्योदय के पूर्व लालिमा दिखाई पड़ती है उसी प्रकार समाज को संघमय होने के पूर्व संघ का कार्य भी दिख रहा है. फिर भी वर्तमान में कई प्रकार की चुनौतियां हैं . सह प्रांत प्रचारक ने संघ के 100 वर्षों के इतिहास का जिक्र कर कहा कि संघ को समाप्त करने या उसकी कार्यप्रणाली को रोकने के अनेक प्रयत्न हुए . यूपीए सरकार में एक लक्षित हिंसा विधेयक नाम से बिल लाया गया था . जिसका विरोध होने पर वह बिल वापस ले लिया गया. उन्होंने कहा कि वर्तमान भारत यदि चंद्रमा पर चंद्रयान भेजता है ,तो शत्रु के दुष्टता करने पर उस पर मिसाइल भी छोड़ता है . वर्तमान में संघ अपने शताब्दी वर्ष में किसी प्रकार का बड़ा आयोजन नहीं कर रहा . जिन उद्देश्यों को लेकर 1925 में यह यात्रा प्रारंभ हुई. उस भाव की पूर्ति के लिए संघ सतत प्रयत्नशील है. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए Indian प्रौद्योगिकी संस्थान ,काशी हिंदू विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर राकेश कुमार मिश्रा ने कहा कि व्यक्ति का अनुशासन ऐसा होना चाहिए कि वह स्वत: स्फूर्त दिखाई पड़े. कार्यक्रम के प्रारंभ में मंचस्थ अतिथियों ने शस्त्र पूजन किया. अमृत वचन, बसंत एवं एकल गीत की प्रस्तुति हुई. कार्यक्रम का संचालन नगर विद्यार्थी कार्य प्रमुख पुण्यांश ने किया . प्रार्थना के बाद उपस्थित मौजूद स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में घोष की धुन पर बिड़ला खेल मैदान से पथ संचलन किया. जो विश्वविद्यालय के विभिन्न मार्गो से होता हुआ कार्यक्रम स्थल बिड़ला मैदान पर आकर समाप्त हुआ. विजयादशमी उत्सव में प्रमुख रूप से काशी प्रांत के अभिलेखागार प्रमुख सत्य प्रकाश पाल, सह प्रांत महाविद्यालयीन कार्य प्रमुख प्रमोद, विधि संकाय के प्रोफेसर शैलेंद्र गुप्त आदि की भी मौजूदगी रही.
—————
(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
You may also like
महिला विश्व कप : हरलीन देओल को 'गुडबाय' का इशारा, साउथ अफ्रीकी गेंदबाज को आईसीसी ने फटकारा
बदायूं में पूर्व MLA फैमिली की बढ़ी मुश्किल, पिता योगेंद्र को पहले से उम्रकैद, अब बेटे कुशाग्र सागर पर FIR
Toyota से लेकर Mercedes तक! गौतम गंभीर के गैराज में खड़ी हैं करोड़ों की कारें
IPPB GDS Executive Recruitment 2025: Apply for 348 Vacancies
अभी और कितने दिन रहेगा मॉनसून? गुलाबी ठंड ने दे दी है दस्तक, जानें अपने राज्य का मौसम अपडेट