भोपाल, 23 सितम्बर (Udaipur Kiran News) . Madhya Pradesh के ग्वालियर में दो विधवा महिलाओं ने मंगलवार को कलेक्टर को राज्यपाल के नाम आवेदन सौंपकर परिवार सहित इच्छा मृत्यु की मांग की है. दोनों महिलाएं पूनम भदौरिया व सुरुचि भदौरिया ने आरोप लगाया कि सेन्ट्रल बैंक और यूनियन बैंक द्वारा उन्हें लगातार परेशान किया जा रहा है. बैंक कर्मचारियों ने हमारा जीवन मुश्किल कर दिया है. यदि शासन-प्रशासन बैंक की प्रताड़ना नहीं रुकवाता है तो हमारे पास सामूहिक खुदकुशी के अलावा कोई उपाय नहीं बचेगा. प्रशासनिक अधिकारियों ने मामले की जांच के लिए कहा है.
महिलाओं ने अपने आवेदन में कहा है कि कोरोना की दूसरी लहर में उन्होंने अपने पतियों को खो दिया. उसके बाद परिवार पर आर्थिक संकट मंडराने लगा. इसी बीच फैक्ट्री में आग लग गई और सब कुछ नष्ट हो गया. बच्चों के पालन पोषण तक के लिए अन्य परिजन पर निर्भर हैं. इसके बाद भी बैंक कर्मचारी आरबीआई की गाइडलाइन के तहत 50 से 60 प्रतिशत में लोन सेटलमेंट नहीं कर रहे हैं बल्कि फैक्ट्री को एनपीए कर दिया है. इसके बाद भी लाखों रुपये का कर्ज बिना वजह हमारे ऊपर निकाला जा रहा है, जबकि इन दोनों बैंक ने बिना इंश्योरेंस के लोन मंजूर कैसे किया.
ग्वालियर में मंगलवार सुबह जिला न्यायालय से सत्याग्रह करने के बाद कलेक्टर से इच्छा मृत्यु मांगने वाली पूनम भदौरिया ने कहा कि मेरे पति स्व. सतेन्द्र सिंह भदौरिया ने साल 2018 में मालनपुर भिंड में प्रथा फोम इंडस्ट्रीज की नींव रखी थी. इसमें हमने 1.50 करोड़ रुपए अपनी पुश्तैनी जमीन बेचकर बिजनेस में लगाया था, जबकि 1.33 करोड़ रुपये का लोन यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से लिया था. जो बैंक ने बिना इंश्योरेंस के किया था. सब कुछ ठीक चल रहा था. तीन साल तक हमने लोन की सारी किस्त समय पर चुकता की थीं. इसी बीच 22 जनवरी 2021 में आग लग गई और सब कुछ नष्ट हो गया और परिवार संकट में आ गया. इसके बाद 29 अप्रैल 2021 को कोविड की दूसरी लहर में पति सतेन्द्र सिंह कोरोना की चपेट में आ गए और उनका निधन हो गया. पति के गम से अभी उभर भी नहीं पाई थी कि बैंक वालों ने परेशान करना शुरू कर दिया. फैक्ट्री में आग लगने के बाद बैंक वालो ने 15 लाख रुपए जमा करवाए थे, जो 5-5 लाख की तीन किस्त में जमा करवाए थे.
इसी मामले में सुरुचि भदौरिया पत्नी स्व. सुरेन्द्र सिंह भदौरिया बताया कि उनके पति ने मालनपुर भिंड में बालाजी थर्माकोल फैक्ट्री की नींव डाली थी. कोविड की दूसरी लहर में कोरोना की चपेट ने 9 मई 2021 को मेरे पति सुरेन्द्र सिंह की जान ले ली. पति का देहान्त हो जाने के बाद सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया में जो हमारा अकाउंट था वह पार्टनरशिप कम्पनी थी. सुरुचि और उनके पति सुरेन्द्र फैक्ट्री में पार्टनर थे. पति के निधन के बाद कंपनी का सारा दायित्व सुरुचि के कंधे पर आ गया. वह अभी पति के निधन के सदमें से उभर भी नहीं पाई थीं कि सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने उनकी फैक्ट्री एनपीए कर दी. अकाउंट बंद कर दिया. बैंक में पूछताछ करने पर कहा कि 6.50 लाख रुपये जमा करो तो हम अकाउंट ठीक कर देंगे. जेवरात बेचकर बैंक के खाते में पैसा जमा किया फिर भी बैंक वालों ने खाता ठीक नहीं किया बल्कि 10 लाख करने के लिए कहा. मायके से पैसा लेकर बैंक में 10 लाख रुपए जमा किए पर बैंक ने फिर खाता ठीक नहीं किया. अब 13.50 लाख रुपये जमा करने के लिए कहा. बैंक ने हमारी फैक्ट्री पर कब्जा कर ताला लगा दिया और रिकवरी निकालते हुए लगातार नोटिस भेज रहे हैं. अब हमारा जीवन खतरे में हैं. इसलिए इच्छा मृत्यु की मांग की है.
पीड़ित महिलाओं ने अपने परिवार व स्थानीय लोगों को साथ मंगलवार को सत्याग्रह किया है. वह सत्याग्रह यात्रा निकालते हुए जिला न्यायालय परिसर से कलेक्ट्रेट पहुंचे. यहां पहले तहसीलदार ने उनसे आवेदन लेने का प्रयास किया पर पूनम व सुरुचि ने आवेदन देने से मना करते हुए कलेक्टर तक अपनी मांग पहुंचाने का आग्रह किया. इसके बाद एडीएम भी आए लेकिन पीड़ित परिवार ने सिर्फ कलेक्टर रुचिका चौहान को ही आवेदन देने की बात कही है. आखिरी में कलेक्टर से मुलाकात कर अपनी मांग और परेशानी से अवगत कराया.
मामले में ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान ने पीड़ित परिवार से आवेदन लेने के बाद उनको कहा कि यह मामला बैंक से लेनदेन का है. इसमें हम कुछ नहीं कर सकते हैं. फिर देखेंगे क्या संभव है.
(Udaipur Kiran) तोमर
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