Prayagraj, 07 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक आदेश में कहा है कि एक आधार पर तलाक की याचिका दाखिल होने पर दूसरे आधार को संशोधन अर्जी दाखिल कर जोड़ा जा सकता है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13 के तहत दूसरे आधार पर तलाक की याचिका दाखिल करने में कोई रोक नहीं है.
मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम ने कहा कि यदि पहली याचिका खारिज होने के बाद भी पक्षकार को दूसरी याचिका की अनुमति मिलती है तो संशोधन के माध्यम से नए आधार जोड़ने में कोई बाधा नहीं है. कोर्ट ने कहा कि तलाक की याचिकाओं में आधार बदलने या जोड़ने की अनुमति दी जा सकती है ताकि कई बार एक ही मामले में कार्यवाही न करनी पड़े.
मामले के तथ्यों के अनुसार पति ने परिवार न्यायालय हमीरपुर में हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत तलाक की याचिका की. पत्नी ने अपने लिखित उत्तर में पति के आरोपों को खारिज किया. इसके बाद कोर्ट ने वाद बिंदु तय किए. बाद में पति ने आधार बदलने के लिए संशोधन आवेदन किया, जिसका पत्नी ने विरोध किया. परिवार न्यायालय ने संशोधन स्वीकार कर लिया. पत्नी ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि वाद बिंदु तय होने के बाद संशोधन आवेदन स्वीकार नहीं किया जा सकता. उसका तर्क था कि पहली याचिका में परित्याग और क्रूरता का आरोप लगाया गया था. बाद में अनैतिकता को आधार के रूप में नहीं जोड़ा जा सकता.
कोर्ट ने कहा कि परिवार न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि संशोधन आवेदन में बताई गई जानकारी वादी को याचिका करने के बाद पता चली इसलिए संशोधन स्वीकार किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि मुकदमे के दौरान किसी पक्षकार को कुछ नए तथ्य पता चलते हैं और यह विवादित मुद्दों का सही समाधान करने के लिए जरूरी हो तो सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 6 नियम 17 के तहत संशोधन आवेदन स्वीकार किया जा सकता है, भले ही मुकदमे की सुनवाई शुरू हो चुकी हो.
कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत एक से अधिक आधार पर तलाक की याचिका करने में कोई रोक नहीं है इसलिए संशोधन के माध्यम से नया आधार जोड़ना कानून के अनुसार निषिद्ध नहीं है. कोर्ट ने माना कि यह संशोधन नया आधार नहीं जोड़ रहा है, बल्कि पहले से लिए गए क्रूरता के आधार को और स्पष्ट कर रहा है इसलिए पत्नी की याचिका खारिज कर दी और फैमिली कोर्ट के संशोधन आदेश को बनाए रखा.
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
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