नई दिल्ली, 07 सितंबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे पहुंचे के बेहद करीब पहुंच गया है। रविवार रात आठ बजे यमुना का जलस्तर 205.35 दर्ज किया गया ,जो खतरे के निशान 205.33 से महज 0.2 फीसद ज्यादा है। गुरुवार को 207.48 पर पहुंचे यमुना के जलस्तर में लगातार तीन दिनों से दो मीटर से ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है।
दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने रविवार को एक्स पर पोस्ट करते हुए जानकारी दी कि अब यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन तक जाने वाला संपर्क मार्ग सुलभ हो गया है। तीन दिन पहले जलभराव के कारण इस मार्ग को आवागमन के लिए रोक दिया गया था, जबकि यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन के अंदर मेट्रो बिना किसी रूकावट के चल रही थी।
हालांकि यमुना अब भी खतरे के निशान 205.33 से ऊपर है, जिससे उसे सटे इलाके जलमग्न हैं। यमुना किनारे बसे लोगों को राहत शिविरों में शिफ्ट किया गया है। प्रशासन राहत शिविरों में रह रहे लोगों के लिए पानी और भोजन की व्यवस्था लगातार कर रहा है। दिल्ली सरकार ने भी राहत शिविरों में सभी जरूरी इंतजाम करने के निर्देश पहले ही जारी किए हैं।
दिल्ली नगर निगम राहत शिविरों में सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने में लगा हुआ है। जिन घाटों पर पानी कम हो रहा है, वहां सफाई हो रही है। लोगों को बीमारियों से बचने के लिए जरूरी उपाय भी किए जा रहे हैं।
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आआपा) की नेता आतिशी ने दिल्ली में जलभराव और बाढ़ राहत शिविरों में सुविधाओं के अभाव को लेकर दिल्ली सरकार पर हमला किया। उन्होंने रविवार को एक्स पर एक वीडियो पोस्ट कर दिल्ली सीएम रेखा गुप्ता से बारिश के बाद जलभराव और राहत शिविरों में बुनियादी सुविधाओं के अभाव को लेकर सवाल किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली में जिस दिन भी बारिश आती है, पूरी दिल्ली झील में बदल जाती है, हर जगह जलभराव हो जाता है। मुख्यमंत्री आपने दिल्ली को जलभराव और बाढ़ से बचाने के लिए क्या किया? उन्होंने कहा कि सरकार ने जो राहत शिविर बनवाए हैं, उनका भी हाल बुरा है। उनमें पीने के पानी और भोजन दोनों का अभाव है।
आतिशी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने राहत शिविरों को बाढ़ प्रभावित लोगों के घरों से कई किलोमीटर दूर बनाया है, जहां लोग जाना नहीं चाहते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि राहत शिविरों में रहने वालों का हालचाल पूछने के लिए न दिल्ली सरकार का कोई मंत्री आ रहा है और न ही अधिकारी।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने दिल्ली के लगभग 50 गांवों के किसान की खड़ी फसलों के बाढ़ के पानी डूबने और हजारों एकड़ कृषि भूमि जलमग्न होने से हुए नुकसान का प्रति एकड़ 1,00,00 रुपये वित्तीय मुआवजा देने की सरकार से मांग की है। उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट झेल रहे अधिकतर किसानों ने कर्ज लेकर अपनी भूमि पर खेती करके अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं, बाढ़ से हुए नुकसान के बाद किसानों के समक्ष गंभीर हालात पैदा हो गए हैं।
देवेंद्र यादव ने रविवार को एक विज्ञप्ति जारी कर कहा कि भाजपा सरकार की निष्क्रियता के कारण यमुना में हथिनीकुंड बैराज से बड़ी मात्रा में छोड़े गए पानी और लगातार बारिश के कारण निचले तटीय क्षेत्रों में पानी भरने से कृषि भूमि को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में थी, जब भी बारिश, बाढ़ या ओलावृष्टि के कारण फसल का नुकसान होता था, तो किसानों को 25,000-50,000 रुपये प्रति एकड़ तक की त्वरित वित्तीय राहत प्रदान की जाती थी।
देवेंद्र यादव ने कहा कि पल्ला, हिरंकी, बक्तावरपुर, सोनारपुर, तिजीपुर, जगतपुर और बुराड़ी सहित दिल्ली के लगभग 50 गांवों की कृषि भूमि पानी में पूरी तरह डूब गई है, जिससे हजारों ग्रामीणों में भारी आर्थिक संकट के बाद अनिश्चितता पैदा हो गई है, क्योंकि उनके पूरे परिवार की आजीविका पूरी तरह कृषि की उपज पर निर्भर थी। किसानों के नुकसान पर न तो दिल्ली के किसी मंत्री और न ही दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने नुकसान का आंकलन करने के लिए उनसे अभी तक कोई मुलाकात की है।
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(Udaipur Kiran) / धीरेन्द्र यादव
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