नाहन, 19 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . देश भर में दीपावली महापर्व की धूम है और दीवाली को लेकर तैयारियां चली हुई हैं. सिरमौर जिला में परम्परागत रूप से खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी दीवाली की सुबह एक विशेष पहाड़ी व्यंजन बनाया जाता है जिसे असकली कहा जाता है. यह असकली चूल्हे पर पत्थर से बने गोल पात्र जिसे अस काली खा जाता है उसमे बनाई जाती हैं. असकली गेहूं के आटे को पानी में घोलकर ठोस बनाकर बनाई जाती हैं. ये अनेक प्रकार की बनती हैं जैसे फीकी, मीठी व नमकीन और इन्हे स्वाद अनुसर माश की दाल, शक़्कर घी इत्यादि के साथ खाया जाता है. असकली बनाना परिवार में शुभ का संकेत माना जाता है. पहले शहरी इलाकों में भी असकली बनाने का प्रचलन था लेकिन आधुनिकता के दौर में इसमें कमी आयी है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोगो ने इसे कायम रखा है.
पंजाहल के शिवचरण ने बताया कि असकली बनाने को महिलाएं सुबह 4 बजे उठ जाती हैं और गहने इत्यादि डालकर असकली बनाई जाती है. इसे बहुत शुभ माना जाता है और इसे परिवारजनों में भी बांटा जाता है. सभी घरों में असकली बनाने की परम्परा आज भी कायम है. सभी घरों में असकली बनाने की परम्परा आज भी कायम है.
उल्लेखनीय है कि दीवाली पर असकली बनाने की परम्परा ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी कायम है लेकिन धीरे धीरे इस में कमी आने लगी है इस तरह की स्वस्थ परम्परा को सरंक्षण देने की जरूरत है.
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(Udaipur Kiran) / जितेंद्र ठाकुर
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