केंद्र सरकार के एक चौंकाने वाले फैसले ने सिख समुदाय को हिलाकर रख दिया है। पाकिस्तान में स्थित गुरु नानक देव की जन्मस्थली ननकाना साहिब की यात्रा पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया है। इस फैसले ने न केवल सिख संगठनों को नाराज किया है, बल्कि एक नया विवाद भी खड़ा कर दिया है। सिख संगठनों ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता में सीधा हस्तक्षेप बताते हुए सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं।
सिख समुदाय की भावनाएं आहतसिख संगठनों का कहना है कि पिछले 70 सालों में, चाहे युद्ध जैसे हालात हों या कोई और संकट, ननकाना साहिब की यात्रा कभी नहीं रोकी गई। यह पहली बार है जब श्रद्धालुओं को गुरु नानक देव की पवित्र जन्मस्थली के दर्शन से वंचित किया जा रहा है। इस फैसले से सिख समुदाय की धार्मिक भावनाएं गहरी ठेस पहुंची हैं। संगठनों का मानना है कि यह कदम न केवल अनुचित है, बल्कि यह सिखों के लिए एक अपमान की तरह है।
केंद्रीय श्री गुरु सिंह सभा का कड़ा रुखकेंद्रीय श्री गुरु सिंह सभा ने इस फैसले को पूरी तरह अस्वीकार्य बताया है। सभा ने कहा कि भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद से ही दोनों देशों के बीच एक खास सहमति थी। इसके तहत सिख श्रद्धालुओं को गुरुपर्व और अन्य खास मौकों पर पाकिस्तान के गुरुद्वारों, खासकर ननकाना साहिब, के दर्शन की इजाजत थी। यह परंपरा सात दशकों से निर्बाध रूप से चली आ रही थी। सभा ने सवाल उठाया कि आखिर सरकार ने यह फैसला क्यों लिया, जबकि पाकिस्तान में सिख समुदाय को किसी तरह का खतरा नहीं है।
क्या है फैसले के पीछे का कारण?सिख संगठनों का दावा है कि यह फैसला पूरी तरह से राजनीतिक है। उनका कहना है कि सरकार का यह कदम बिना किसी ठोस कारण के लिया गया है। पाकिस्तान में सिख समुदाय के लिए कोई असुरक्षा की स्थिति नहीं है, फिर भी यात्रा पर रोक लगाना समझ से परे है। संगठनों ने सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है और चेतावनी दी है कि अगर यह रोक नहीं हटाई गई, तो सिख समुदाय बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कर सकता है।
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