कुंडलिया छंद - 1
तृतीया का पावन दिवस, शुभ मुहूर्त सुख धाम।
दान पुण्य का पर्व है, सकल सुमंगल नाम।
सकल सुमंगल नाम, पितर को भोग लगाओ।
लक्ष्मी का है धाम, धान्य धन सब कुछ पाओ।
कह सुशील कविराय, दिवस यह मंगलदाई।
भरे रहें भंडार, तृतीया अक्षय आई।।
कुंडलिया छंद - 2
पावन अक्षय पर्व पर, करें दान भरपूर।
पितरों के आशीष से, मिटे सकल नासूर।।
मिटे सकल नासूर, पाप सब क्षय हो जाते।
भरे रहें धन धान्य, कीर्ति यश बल सब पाते।
कह सुशील कविराय, परशु जी का अभिनंदन।
अक्षय हों शुभ कर्म, तृतीया यह है पावन ।।
(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)
ALSO READ:
You may also like
भारत और पाकिस्तान की परमाणु हथियार नीति क्या है और कैसे रखे जाते हैं ये हथियार
जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयरों में 23 दिनों बाद तेजी, लगा 5% का अपर सर्किट
अमेरिकी अधिकारी ने पाक रिपोर्टर को कराया चुप, पीएम मोदी पर लगाया था शांति समझौते को रोकने का आरोप
UPSC के अध्यक्ष बने पूर्व रक्षा सचिव अजय कुमार, राष्ट्रपति ने दी नियुक्ति को मंजूरी
'क्या कश्मीरियों की जान की कोई कीमत नहीं?' — उमर अब्दुल्ला का पाकिस्तान की गोलीबारी पर देश से सवाल